लेबनान- भूख और तंगी से बेहाल जनता सड़कों पर उतरी

“भुखमरी, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं में कटौती से भड़की जनता सड़कों पर उतरी”

दुनियाभर में कोरोना महामारी की दहशत से जहां लोग घरों में बैठे हैं और वहीं सरकारें इस आड़ में वो सभी काम करने में जुटी हैं, जिसको करने में उन्हें आम दिनों में विरोध का सामना करना पड़ता।

         “भुखमरी, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं में कटौती से बिफरी जनता”

लेकिन, सरकार की उम्मीदों के विपरीत, लेबनान की जनता ने कोरोना की दहशत को चुनौती देकर सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया है। सड़क पर उतरी जनता के विरोध प्रदर्शनों से घबराई सरकार ने सेना को उतार दिया है।

सेना की इस कार्रवाई में एक की मौत हो गई, जबकि झड़प में तीन दर्जन ज़ख़्मी भी हुए हैं। प्रदर्शनकारियों के घरों पर छापे मारकर गिरफ्तार करने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन विद्रोही भी बराबर जवाब दे रहे हैं।

लेबनान में बेरोजगारी और भुखमरी का संकट कोरोना काल से पहले शुरू हुआ था, जिसके विरोध में अक्टूबर बड़ा राजनीतिक बदलाव भी हुआ। लेकिन लोग नई सरकार से भी संतुष्ट नहीं हुए।

हालात में कोई बदलाव आने से पहले कोरोना वायरस की दहशत फैल गई। इस वजह से कारोबार से लेकर रोजगार तक ठप हो गए।

नौकरियां खत्म होने के साथ ही जो बचे, उनके वेतन में 30 प्रतिशत कटौती हो गई। लोग रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर मकान के किराए तक को लाचार हो चुके हैं।

मार्च में कोरोना वायरस के संक्रमण के आधार पर लेबनान की सरकार ने भी दूसरे देशों की तरह कफ्र्यू की घोषणा कर दी और लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदियां लगा दी गईं।

इस पर प्रदर्शनकारी पहले शांत हो गए, लेकिन सप्ताहभर पहले जब लॉकडाउन को पांच चरणों में खोलने की घोषणा हुई तो जनता का सब्र टूट गया।

घरों में बंद बेरोजगार युवक पाबंदी सड़कों पर उतर आए। बैंकों पर हमले हुए. नेशनल हाईवे को बंद कर दिया गया। सेना के साथ प्रदर्शनकारियों का टकराव हुआ।

बैंक से पैसे न निकल पाने एक शख्स ने आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की। यहां बैंकों ने सीमित रूप से पैसा निकालने की अनुमति दी है। दूसरी तरफ लेबनानी पाउंड की कीमत गिरने महंगाई आसमान पर पहुंच गई है।

बताया जा रहा है कि ज्यादा ब्याज का झांसा देकर यहां के बैंकों ने लोगों से पैसा जमा कराया और फिर उस पैसे को को सेंट्रल बैंक जमा करा दिया गया।

सेंट्रल बैंक ने ये पैसा सरकार को दे दिया। कर्जे में डूबी सरकार ने गैरजरूरी खर्च करके ये पैसा बराब कर दिया। अब बैंकों पर नकदी नहीं है और लोग पैसे के लिए भटक रहे हैं।

हालाँकि, दुनिया भर में महामारी से जूझ रहे दूसरे विकासशील देशों की भी हालत लेबनान जैसी ही है। कहीं भूखमरी, तो कहीं बेरोज़गारी- सभी देश इससे परेशान हैं। लेकिन, वक़्त रहते इन देशों को हालात को क़ाबू करनी होगी, वरना वो दिन दूर नहीं कि जनता सड़कों पर उतर जाए और सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह शुरू कर दे। 

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