लंदन- 47 साल की लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री होंगी। उन्होंने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को कड़े मुक़ाबले में हरा दिया। दक्षिणपंथी लिज, बोरिस जॉनसन की जगह लेंगी। लिज को ब्रिटेन की सियासत में फायरब्रांड नेता के तौर पर जाना जाता है। जीत का ऐलान होने के बाद लिज ने सुनक के बारे में कहा- मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरी पार्टी में इतनी गहरी समझ वाले नेता हैं। परिवार और दोस्तों का भी शुक्रिया।
लिज तीसरी महिला प्रधानमंत्री होंगी। उनके पहले मार्गरेट थैचर और थेरेसा मे इस पद पर रह चुकी हैं। लिज मार्गरेट थैचर को अपना आदर्श मानती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिज को जीत पर बधाई दी। कहा- भरोसा है कि आपकी लीडरशिप में भारत-ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत होंगे। दोनों देशों के बीच स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप होगी। नई रोल और जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं।
कंजर्वेटिव पार्टी की नवनिर्वाचित नेता और भावी प्रधानमंत्री लिज ट्रस ब्रिटेन के उन वरिष्ठ राजनेताओं में शामिल हैं, जिन्हें भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक तथा आर्थिक संबंधों को और बेहतर बनाने के लिये जाना जाता है।
विदेश मंत्री के तौर पर अपनी पदोन्नति के बाद ट्रस ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) की कमान एनी मेरी ट्रेवेलयन को सौंप दी थी। यह उम्मीद की जा रही है कि वह (ट्रेवेलयन) अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री की अपनी भूमिका में ब्रिटेन-भारत एफटीए वार्ता पर आगे बढ़ेंगी। टोरी नेता के तौर पर निर्वाचित होने के लिये पूर्व ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक के साथ अपने मुकाबले के दौरान ट्रस ने पार्टी के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) प्रवासी समूह के समक्ष कहा था कि वह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिये बेहद प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होंने भारत-ब्रिटेन एफटीए के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और उम्मीद जताई की दिवाली तक इसे पूरा करने की कोशिश की जाएगी, जो समयसीमा उनके पूर्ववर्ती बोरिस जॉनसन ने निर्धारित की थी। ट्रस ने कहा कि अगर तब तक संभव न हो सका तो निश्चित तौर पर साल के अंत तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
ट्रस के अनुसार, चीन और रूस ने एक वैचारिक शून्यता की स्थिति ढूंढी है और उनकी नजर इसे भरने पर है। वे काफी उत्साहित हैं । हमने शीत युद्ध के बाद से ऐसा नहीं देखा है। स्वतंत्रता के समर्थक लोकतांत्रिक देशों के रूप में हमें इन खतरों का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाटो के साथ-साथ हम ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान, इंडोनेशिया और इज़रायल जैसे साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं ताकि स्वतंत्रता के वैश्विक नेटवर्क का निर्माण किया जा सके।
लगातार अपडेट और ख़बरों के लिए हमारे फ़ेसबुक पेज और ट्विटर ज़रूर फ़ॉलो करें।