नेपाल से दिल जोड़ने की बात कर गए पीएम मोदी, कहा- “भारत-नेपाल रिश्ते को मिले हिमालय जैसी बुलंदी”

भारत और नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने और मजबूत हैं। इस सुन्दर कड़ी को और मजबूती देने के लिए दोनों प्रधानमंत्री प्रचंड और मोदी ने गुरुवार को निश्चय किया। इसके मद्देनज़र रामायण सर्किट से संबंधित परियोजनाओं में तेजी लाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है ताकि भारत-नेपाल के बीच सदियों पुरानी संस्कृति को दोबारा ज़िंदा किया जा सके।

हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ गुरुवार को कई अन्य मुद्दों पर ज़ोर देते हुए दिखाई दिए। उनमें ख़ास थे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का हल, त्रिपक्षीय ऊर्जा कारोबार पर सहमति, लविद्युत, पेट्रोलियम से संबद्ध बुनियादी ढांचा और रेल संपर्क।

मालूम हो कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का हल ‘मैत्री की भावना’ से करने का बृहस्पतिवार को दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने संकल्प लिया। साथ ही, इस पड़ोसी देश (नेपाल) से अगले 10 वर्षों में बिजली का आयात मौजूदा 450 मेगावाट से बढ़ा कर 10,000 मेगावाट करने सहित कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये गए।

जहां मोदी और प्रचंड के बीच हुई व्यापक वार्ता में, भारतीय पक्ष 40 मेगावाट तक बिजली भारत के मार्फत नेपाल से बांग्लादेश को निर्यात किये जाने के प्रथम त्रिपक्षीय ऊर्जा कारोबार पर सहमती भी बनी। वहीं भारत और नेपाल ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें ‘ट्रांजिट’ की एक संशोधित संधि शामिल है। हालाँकि  इस कदम को वृहद क्षेत्रीय सहयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों को हिमालय की ऊंचाई तक ले जाने के लिए प्रयास जारी रखेंगे।

पीएम मोदी ने प्रचंड की मौजूदगी में आगे कहा, ‘‘हम अपने संबंधों को हिमालय की ऊंचाई तक ले जाने का प्रयास जारी रखेंगे। और इस भावना के साथ, हम सभी मुद्दों का समाधान करेंगे, चाहे वह सीमा विवाद से संबद्ध हो या कोई अन्य मुद्दा हो।’’

भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये प्रचंड ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उन्होंने और मोदी ने सीमा मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री मोदीजी से, स्थापित राजनयिक तंत्र के माध्यम से सीमा मुद्दे का हल करने का अनुरोध किया।’’

ग़ौरतलब है कि काठमांडू द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। उसमें तीन भारतीय क्षेत्रों–लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख–को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था।

  • -ब्रजेश त्रिपाठी
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