हरित हाइड्रोजन, भारत के ऊर्जा स्रोतों की बदलाव प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक भरोसेमंद विकल्प- आर.के. सिंह

रियाद (सऊदी अरब), 8 अक्टूबर- भारत और सऊदी अरब ने रविवार को विद्युतीय अंतर-संयोजन, हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री- आर.के. सिंह और सऊदी अरब सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान अल-सऊद ने हस्ताक्षर किए। आर.के. सिंह एमईएनए जलवायु सप्ताह में भाग लेने के लिए रियाद की यात्रा पर हैं।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विद्युत अंतर-संयोजन के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग; अत्यधिक मांग की अवधि और आपात स्थिति के दौरान बिजली का आदान-प्रदान; परियोजनाओं का सह-विकास; हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा का सह-उत्पादन; और हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की सुरक्षित, विश्वसनीय और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए एक सामान्य रूपरेखा स्थापित करना है।

दोनों ऊर्जा मंत्रियों के बीच यह भी निर्णय लिया गया कि ऊर्जा क्षेत्र सहयोग के उपर्युक्त क्षेत्रों में सम्पूर्ण आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला स्थापित करने के लिए दोनों देशों के बीच बी2बी व्यापार शिखर सम्मेलन और नियमित बी2बी संवाद आयोजित किये जायेंगे।

इससे पहले, भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल सिंह ने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) जलवायु सप्ताह 2023, जो 8 – 12 अक्टूबर, 2023 के दौरान रियाद, सऊदी अरब में आयोजित किया जा रहा है, के उच्च-स्तरीय खंड में भाग लिया। एमईएनए जलवायु सप्ताह 2023 सीओपी28 से पहले जलवायु समाधानों पर चर्चा करेगा। इसकी मेजबानी सऊदी अरब सरकार द्वारा की जा रही है। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम, वैश्विक स्टॉक आकलन और पेरिस समझौते के संदर्भ में जलवायु कार्रवाई के आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा पहलुओं सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए हितधारकों के विविध समूह को एक मंच पर लाता है। यह अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और इस महत्वपूर्ण दशक के शेष समय के लिए महत्वाकांक्षी जलवायु रणनीतियों को विकसित करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करता है।

आज रियाद में एमईएनए जलवायु सप्ताह के पहले दिन “ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) ऑफ द पेरिस एग्रीमेंट रीजनल डायलाग: हाईलाइटिंग इनेबलर्स एंड टेक्नोलॉजीज फॉर एम्बिशन एंड जस्ट एंड इन्क्लूसिव ट्रांजीशन्स” विषय पर एक सत्र को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि एमईएनए जलवायु सप्ताह वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के उत्पादन, उपभोग एवं स्थिरता के भविष्य को आकार देने के अवसरों की खोज करने तथा उन अवसरों को साझा करने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एमईएनए जलवायु सप्ताह की यह सभा मध्य-पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) क्षेत्र के लिए बेहद महत्व रखती है और सामूहिक रूप से ऊर्जा के क्षेत्र में होने वाले बदलावों के वर्तमान एवं भविष्य को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखती है।

केन्द्रीय मंत्री ने वैश्विक समुदाय से कहा कि भारत आज ऊर्जा के परिदृश्य में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आवाजों में से एक है और वह ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव करने वाले एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है। “दुनिया की कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा रखने वाला देश एवं दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, भारत वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।” उन्होंने याद दिलाया कि भारत में ऊर्जा के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है और इस बदलाव का उद्देश्य अपने लोगों को विश्वसनीय, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करना है। “देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, एक एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड की स्थापना की है एवं वितरण नेटवर्क को मजबूत किया है, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दिया है, ऊर्जा की सुलभता का विस्तार किया है और शत-प्रतिशत घरों को विद्युतीकृत करने के लक्ष्य को हासिल किया है और रचनात्मक नीतियों को लागू किया है।”

श्री सिंह ने कहा कि भारत में ऊर्जा के क्षेत्र में बदलावों को तेज करने की दिशा में हरित हाइड्रोजन एक आशाजनक विकल्प है। “मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि भारत सरकार ने हाइड्रोजन ऊर्जा के दोहन के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ किया है और इस मिशन के लिए 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रारंभिक परिव्यय को मंजूरी दी है।”

श्री सिंह ने एमईएनए देशों से वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में शामिल होने का आह्वान किया, ताकि गठबंधन की पूरी क्षमता को प्राप्‍त करने के लिए टिकाऊ जैव ईंधनों के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि गठबंधन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय जैव ईंधन संगठनों के सहयोग से टिकाऊ जैव ईंधन के विकास और उसका असरदार तरीके से इस्‍तेमाल बढ़ाने, जैव ईंधन में व्यापार को सुविधाजनक बनाने और अन्‍य उपयोग की सुविधा प्रदान करना है।

श्री सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत का दृढ़ मत है कि सभी देशों को यह समझना चाहिए कि ऊर्जा परिवर्तन में विकासशील देशों और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के लिए अलग-अलग चुनौतियाँ और अवसर होंगे। “इसलिए, यह जरूरी है कि हम इस परिवर्तन में एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए मिलकर काम करें।“ श्री सिंह ने एमईएनए जलवायु सप्ताह में जोर देकर कहा कि स्थायी तरीके से ऊर्जा परिवर्तन को प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर कार्य और स्थायी विकल्पों में से चयन करना अत्‍यन्‍त महत्वपूर्ण हैं। मंत्री ने कहा, “इस संबंध में, मैं एमईएनए क्षेत्र से पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ) पर भारत की पहल में शामिल होने का आह्वान करता हूं।“

पेरिस समझौते का वैश्विक स्टॉकटेक

पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) जलवायु सप्ताह में उच्च-स्तरीय जीएसटी (पेरिस समझौते का वैश्विक स्टॉकटेक) क्षेत्रीय संवाद जीएसटी परिणाम को आकार देने के उद्देश्‍य से क्षेत्र से प्राप्‍त प्रमुख सूचनाओं पर चर्चा करने के लिए अंतर-सरकारी प्रक्रिया में नीति निर्माताओं, प्रमुख हितधारकों और भागीदारों को एक साथ लाएगा। यह जानकारियां एमईएनए के संदर्भ में जलवायु कार्य और सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिए चुनौतियों, बाधाओं, समाधानों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

जीएसटी पेरिस समझौते के लक्ष्यों और इसके दीर्घकालिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रगति का आकलन करने के उद्देश्‍य से देशों को समझौते के कार्यान्वयन का समय-समय पर जायजा लेने की अनुमति देता है। इसे व्यापक और सुविधाजनक तरीके से, शमन, अनुकूलन, कार्यान्वयन और सहयोग के साधनों, समानता और सर्वोत्तम उपलब्ध विज्ञान को ध्‍यान में रखकर किया जाता है। पहला जीएसटी 2021 में ग्लासगो में शुरू हुआ और दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 28 में) में समाप्त होगा। जीएसटी के नतीजे पक्षकारों को उनके कार्य और सहायता को अपडेट करने और बढ़ाने के साथ-साथ जलवायु कार्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित तरीके से कार्य और जानकारी की सूचना देंगे।

पहले वैश्विक स्टॉकटेक का निष्कर्ष पेरिस समझौते के प्रावधानों और लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में विश्व स्तर पर हुई सामूहिक प्रगति को उजागर करने के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षण है। यह चुनौतियों को रेखांकित करने का एक महत्वपूर्ण क्षण है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रीय प्राथमिकताओं सहित जलवायु कार्य में तेजी लाने के अवसरों की प्रचुरता भी है। प्रभावी कार्यान्वयन के लिए परिणाम के स्वामित्व और बाद में खरीद-फरोख्त को सक्षम करने के लिए दुनिया को एकता और सहयोग का सकारात्मक संदेश देना भी महत्वपूर्ण होगा।

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