संविधान संशोधन कर अल्पसंख्यकों वाले अधिकार सबको दिए जाएं : विहिप


विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति व बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की यहां चल रही बैठक में शनिवार को ऐसा प्रस्ताव पारित हुआ है, जिस पर आने वाले वक्त में राजनीतिक घमासान मच सकता है। विहिप ने अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण के लिए बने संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में संशोधन की मांग उठाई है। विहिप ने कहा है कि इन दो अनुच्छेदों के तहत मिलने वाले लाभ सिर्फ अल्पसंख्यकों को ही न मिलें, बल्कि अन्य वर्गो के लोगों को भी इसमें शामिल किया जाए। विहिप का मानना है कि इस फॉर्मूले से ही देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का भेद मिट सकता है।

तीन दिवसीय बैठक के दूसरे दिन विश्व हिन्दू परिषद ने जहां संस्कारित, सबल और स्वावलंबी भारत के निर्माण का संकल्प लिया, वहीं अपने एजेंडे से जुड़े कई अहम प्रस्ताव भी पास किए। इसमें सबसे अहम प्रस्ताव रहा अल्पसंख्यकों के हितों को संरक्षण देने वाले दो अनुच्छेदों में संशोधन की मांग से जुड़ा। अगर सरकार ने विहिप की मांग पर अमल करते हुए अनुच्छेदों में संशोधन किया तो अल्पसंख्यकों का ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ खत्म हो जाएगा।

विहिप के प्रस्ताव में कहा गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में जरूरी संशोधन कर अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकारों का विस्तार कर उसमें सभी धार्मिक और भाषाई समुदायों को शामिल करने की जरूरत है। इस दौरान राष्ट्रीय पुनर्जागरण की पाक्षिक पत्रिका ‘हिंदू विश्व’ के धर्मजागरण विशेषांक का विमोचन हुआ।

क्या है अनुच्छेद 29 और 30

अनुच्छेद 29 में धार्मिक और भाषायी आधार पर अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण के प्रावधान हैं। इसी तरह अनुच्छेद 30 के तहत शिक्षा संस्थानों की स्थापना और उनका प्रबंधन करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। मौजूदा समय में केंद्र और राज्य दोनों को अल्पसंख्यकों के निर्धारण का अधिकार है।

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आईएएनएस से कहा, “विहिप का मानना है कि देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का भेद नहीं होना चाहिए। सभी को समान रूप से सुविधाएं मिलनी चाहिएं। इसलिए अनुच्छेद 29 और 30 में संशोधन की मांग उठाई गई है।”

जन्म के आधार पर श्रेष्ठता गलत : जोशी

इस मौके पर आरएसएस के सर कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि आज हिंदू समाज में जो जन्म से श्रेष्ठता की बात हो रही है वह ठीक नहीं है क्योंकि व्यक्ति कर्म के आधार पर श्रेष्ठ होता है। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं हमारे मूल्यों का क्षरण हुआ है, मातृभूमि के प्रति उदासीनता भी दिखाई देती है जो कि मात्र दृष्टिकोण बदलने के कारण हुआ है। उन्होंने समाज से ऊंच-नीच समाप्त कर समरस समाज बनाने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा, “गौरक्षा हमारे लिए केवल पशु रक्षा नहीं है। श्रीराम जन्मभूमि हमारे लिए स्वाभिमान का केन्द्र है।”

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