शिवसेना राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची


शिवसेना ने राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए बहुमत प्रदर्शित करने के लिए दिए गए 24 घंटे के समय को नहीं बढ़ाने के फैसले के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

शिवसेना को 288 सदस्यीय विधानसभ में 56 सीटें मिली हैं और वह दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। शिवसेना ने कहा कि उसे राज्यपाल की ‘मनमानी व दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई’ से तत्काल राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को विवश होना पड़ा है।

पार्टी ने राज्यपाल के आदेश को रद्द करने की मांग की है और राज्यपाल की कार्रवाई को असंवैधानिक, मनमाना, अवैध व संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन घोषित करने की मांग की है।

पार्टी ने राज्यपाल के व्यवहार को लेकर सवाल उठाया और कहा कि राज्यपाल इस तरीके से या ‘केंद्र सरकार के इशारे पर’ काम नहीं कर सकते।

राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी भाजपा द्वारा सरकार बनाने में असमर्थ होने की बात कहने पर शिवसेना को आमंत्रित किया था।

कोर्ट में कहा गया कि राज्यपाल बेहद जल्दबाजी में थे। उन्होंने सरकार बनाने के लिए अपेक्षित बहुमत साबित करने के लिए महज तीन दिन का समय देने से इनकार कर दिया।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, वकील सुनील फर्नाडिस व निजाम पाशा के द्वारा याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया है, “राज्यपाल की कार्रवाई/फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। यह शक्ति का मनमाना, अनुचित, स्वेच्छाचारी और दुर्भावनापूर्ण उपयोग है, जिससे सुनिश्चित किया जाए कि याचिकाकर्ता नंबर 1 (शिवसेना) को सदन के पटल पर बहुमत साबित करने के अवसर से वंचित किया जा सके।”

याचिका के अनुसार, शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए अपेक्षित बहुमत का समर्थन पत्र देने के लिए तीन दिन का समय देने की मांग की थी।

शिवसेना ने कहा कि पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) व कांग्रेस के साथ सरकार गठन के लिए वार्ता कर रही थी।

अपनी याचिका में शिवसेना ने अपने पार्टी द्वारा उठाए गए कदमों में पार्टी के सांसद संजय राउत की राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात का भी उल्लेख किया है और कहा कि ये वार्ता सकारात्मक दिशा में थी। पार्टी ने यह भी उल्लेख किया है कि शिवसेना कोटे से एकमात्र केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने केंद्रीय कैबिनेट से 11 नवंबर को इस्तीफा दे दिया।

इसमें कोर्ट को सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ टेलीफोनिक बातचीत के बारे में भी सूचित किया गया।

शिवसेना ने कहा कि कानून के अनुसार राज्यपाल को पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए था और सदन के पटल पर बहुमत साबित करने का निर्देश देना चाहिए था।

याचिका में कहा गया, “बहुमत का तथ्य माननीय राज्यपाल द्वारा खुद से तय नहीं किया जा सकता और बहुमत परीक्षण करने के लिए सदन का पटल संविधानिक रूप से नियत मंच है।”

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