विश्वविद्यालय चाहें तो ऑनलाइन माध्यमों से ले सकते हैं पीएचडी वायवा टेस्ट: यूजीसी

देशभर के विश्वविद्यालय ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कर चुके हैं। हालांकि कुछ क्रियाकलापों के लिए ऑनलाइन माध्यमों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उच्च शिक्षा में एमफिल और पीएचडी का वायवा भी ऑनलाइन लिया जा सकता है। इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने उच्च शैक्षणिक संस्थानों को आवश्यक सुझाव भी प्रदान किए हैं।

यूजीसी ने देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों को सुझाव दिया है कि वे अपने यहां एमफिल और पीएचडी का वायवा वीडियो कांफ्रेंस के जरिए ले सकते हैं। यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने इस विषय पर बकायदा देश भर के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को एक पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है।

यूजीसी ने यह पत्र विभिन्न यूनिवर्सिटी के कुलपति और कॉलेजों के प्रिंसिपल को लिखा है
इस पत्र में यूजीसी की ओर से सुझाव दिया गया है कि एमफिल और पीएचडी का वायवा टेस्ट ऑफलाइन के अथवा गूगल, स्काइप, माइक्रोसाफ्ट प्रौद्योगिकी अथवा किसी विश्वसनीय माध्यम एवं उपयुक्त प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वीडियो कांफ्रेंस के जरिये आयोजित करने पर विचार कर सकते हैं।

यूजीसी के सचिव रजनीश जैन का कहना है कि पूर्व में यूजीसी द्वारा जारी किए गए दिशा निदेशरें में यह प्रस्ताव है कि विश्वविद्यालय एमफिल और पीएचडी की मौखिक परीक्षाएं गूगल, स्काइप, माइक्रोसाफ्ट द्वारा प्रदत टेक्नोलॉजी के माध्यम से ली जा सकती है। यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों से यह भी कहा है कि वायवा टेस्ट के लिए ऐसे विकल्पों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिनको की मान्यता प्राप्त है।

वही यूजीसी के एक अन्य निर्देश के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य तौर पर छात्रों के शारीरिक, मानसिक फिटनेस और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के आधार पर यूजीसी की उच्च स्तरीय कमेटी ने इन विषयों को लेकर के एक विशेष गाइडलाइन तैयार की है। यूजीसी द्वारा बनाई गई गाइडलाइन के मुताबिक विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों की फिजिकल फिटनेस, स्पोर्ट्स, स्टूडेंट हेल्थ, वेलफेयर, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान भी रखना होगा।

यूजीसी द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जाने के उपरांत उच्च शिक्षण संस्थानों को इसी शैक्षणिक सत्र से स्पोर्ट्स को एक अनिवार्य विषय के रूप में लागू करना होगा। इस विषय में दिशानिर्देश बनाने वाली यूजीसी की कमेटी का मानना है कि कोरोना महामारी के दौरान जहां शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर ध्यान दिया जा रहा था, वही भावनात्मक पहलुओं की जरूरत को भी नोटिस किया गया।

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