मूड़घाट का सरकारी प्राइमरी स्कूल बना “स्मार्ट”

बस्ती (उत्तरप्रदेश)। रंग बिरंगे टी शर्ट्स, गले मे आईडी कार्ड और टाई  बेल्ट पहने यह बच्चे किसी महंगे प्राइवेट स्कूल के नही है बल्कि यह बस्ती ज़िले के एक सरकारी प्राईमरी स्कूल मूड़घाट के है।

इस प्राइमरी स्कूल की दशा महज ढाई साल पहले दूसरे तमाम सरकारी स्कूलों जैसे ही बदतर थी। साल जुलाई 2016 में तत्कालीन डीएम ने इस स्कूल पर डॉ सर्वेष्ट मिश्र को प्रधानाध्यापक के रुप मे तैनाती देकर इसे एक मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी दी थी।

स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉ सर्वेष्ट मिश्र बताते है कि जुलाई 2016 में वे जब यहाँ आये तो स्कूल में महज 19 बच्चे मिले। भवन और परिवेश की स्थिति बहुत बुरी मिली जिसे उन्होंने एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने स्कूल को अपने व्यक्तिगत और जनसहयोग से स्कूल को जिले का टॉप स्कूल बनाने के लिए जीतोड़ मेहनत की  लोगो के घर-घर जाकर स्कूल में 235 बच्चो के प्रवेश किए।

स्कूल के पुराने भवन को वाल पुट्टी और प्लासिटिक पेंट से रंगवाकर उसे आकर्षक बनाया। स्कूल में बच्चो की हाईटेक पढ़ाई के लिए मंडल का पहला प्रोजेक्टर और कंप्यूटरयुक्त स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की। इसके अलावा बच्चो और स्टाफ के लिए पर्याप्त फर्नीचर की व्यवस्था करने के साथ ही उसमें विजली, पंखा, व्हाइट बोर्ड, मॉडल शौचालय, संमर्सिबल पम्प, टीवी  और कई तरह के भौतिक संसाधन जुटाए। अब इस स्कूल की चर्चा प्रदेश के अच्छे स्कूलो में होती है।

आज इस स्कूल के बच्चे न केवल देखने मे बल्कि पढाई में भी निजी स्कूलों को मात दे रहे है। इस स्कूल के कारण गांव में चल रहा एक निजी विद्यलाय पूरी तरह बंद हो गया जबकि दूसरे स्कूलो से बच्चे नाम कटा कर यहाँ प्रवेश ले रहे है। ऐसे में जब सरकारी स्कूलों मे प्रवेश के लिए सरकार को कई तरह के उपाय करने से भी बच्चे नहीं मिल रह ऐसे मेे इस स्कूल में प्रवेश लेने वालों की लाइन लगी है और स्कूल में जगह व कमरे न होने के कारण प्रवेश नही मिल पा रहे।

स्मार्ट क्लास है यहाँ की पहचान

इस स्कूल की पहचान प्रदेश के चुनिंदा ऐसे स्कूलो में होती है जहा बच्चो को प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ने की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ बच्चे स्वामी विवेकानन्द ऑनलाइन स्मार्ट क्लास में अपनी किताबो  और पाठ्यक्रम की पढ़ाई मनोरंजक तरीके से करते है। यहाँ के प्रधानाध्यापक अब तो बच्चे थ्री डी तकनीक से भी पढ़ाई कराते है।  वर्तमान में यहाँ प्रोजेकर के स्मार्ट टीवी से भी पढ़ाई होती है।

सीसीटीवी की नजर में है स्कूल

विद्यालय मे प्रत्येक कमरे और हर स्थान को सीसीटीवी कैमरे से आच्छादित किया गया गया है। कुल 8 कमरों की नजर से स्कूल की प्रत्येक गतिविधि पर प्रधानाध्यापक के अलावा विभगीय अधिकारी भी इस पर ऑनलाइन नजर रखते है। स्कूल में शिक्षको व बच्चों की नियमित व समय से उपस्थित के लिए इस स्कूल में बायोमेट्रिक हाजिरी भी लगती है।

इस स्कूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ बच्चो की पढ़ाई केवल किताबो के सहारे नही बल्कि उन्हें विभिन्न प्रकार के टीएलएम( टीचिंग लर्निंग मटेरियल) और नवाचारों के सहारे ढ़ी जाती है। इस स्कूल में एक  टीएलएमबैंक है जहाँ शिक्षको द्वारा तैयार टीएलएम रखे गए है और जरूरत के हिसाब से प्रयोग किये जाते हैं। इसी तरह के तरह के नवाचारों के माध्यम से भी यहाँ केबच्चो को सीखने की सुविधा दी जाती है।

बोलती दीवारें हैं स्कूल की पहचान

इस पूरे स्कूल को प्रधानाध्यापक ने अपने व्यक्तिगत एवं जनसहयोग से न केवल बेहतरीन और आकर्षक रंग रोगन कराया गया है बल्कि परिसर के भीतर एवं कक्षाओ की दीवारों को कक्षानुरूप पढ़ाई के चित्रों, ज्ञान के पैंट्स की गई है। स्कूल गेट के बोर्ड से लेकर हर दीवार बच्चो को कुछ न कुछ सीखने का अवसर उपलब्ध कराती है।

कौशल विकास केंद्र

इस स्कूल को न केवल अच्छी पढ़ाई के लिए जाना जाता है बलिस्कूल को एक छोटे कौशल विकास केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। जहाँ पर बच्चो को कंप्यूटर, आर्ट क्राफ्ट, एंगिलश स्पीकिंग, व्यक्तित्व निर्माण, सिलाई कढ़ाई जैसे कौशल शिक्षको द्वारा सिखाये जाते हैं।

डॉ सर्वेष्ट को मिल चुका है देश का सर्वोच्च शिक्षक सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार सहित  कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान

अपने मेहनत और नवाचारी प्रयोगों से  स्कूल को नई पहचान दिलाने वाले यहाँ के प्रधानाध्यापक डॉ सर्वेष्ट मिश्र को देश का सर्वोच्च शिक्षक सम्मान वर्ष 2017 -18 का राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान (राष्ट्रपति पुरस्कार) उत्तर प्रदेश से अकेले 5 सितम्बर 2018 को नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जा चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी डॉ सर्वेष्ट को अपने आवास पर बुलाकर उन्हें सम्मनित कर चुके हैं।

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