पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध करते हुए एक कविता की रचना की है। उन्होंने शुक्रवार को अपने फेसबुक पेज पर कविता को साझा किया। ‘अधिकार’ शीर्षक से लिखी गई यह बांग्ला कविता देश की वर्तमान दशा पर अविश्वास व्यक्त करती है।
इस कविता के एक अंश का अनुवाद है मैं इस धरती को नहीं जानती/मैं इस देश में पैदा नहीं हुई/ मैं भारत में पैदा हुई हूं/मैंने कभी नहीं सीखा कि विभाजन कैसे करना है। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से विभाजनकारी ताकतों की निंदा करते हुए उनसे पूछा कि क्यों किसी के अधिकार छीने जाने चाहिए? इसके आगे उन्होंने दावा किया कि वह देश में अपने सभी अधिकारों का आनंद लेती रहेंगी। कविता के जरिए नफरत फैलाने और लोगों के दिमाग में जहर घोलने वालों की निंदा की गई है और साथ ही इसमें यह संकल्प भी व्यक्त किया गया है कि सभी नागरिक एकजुट रहेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके सभी अधिकार बरकरार रहें।
सीएए और एनआरसी को बढ़ावा देने वालों को स्वार्थी बताते हुए कविता के माध्यम से अफसोस जताया गया है कि विभाजनकारी ताकतें केवल गरीबों को भगाने की कोशिश कर रही हैं। इसके साथ ही कविता यह भी पुष्टि कर रही है कि देश में विभाजन की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कविता संयुक्त भारत की विभाजनकारी ताकतों के लिए एक आह्वान के साथ समाप्त होती है। इसमें कहा गया है, “हम सभी नागरिक हैं/हम सीएए, एनआरसी को स्वीकार नहीं करेंगे)।