मप्र में कांग्रेस को आक्रामक अध्यक्ष की दरकार


भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) द्वारा मध्य प्रदेश इकाई की कमान युवा सांसद वी.डी. शर्मा को दिए जाने के बाद कांग्रेस को भी अब एक आक्रामक नेता को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की जरूरत महसूस होने लगी है।

इसके लिए पार्टी के भीतर से भी आवाज उठ रही है।

राज्य में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस बीते एक साल से नए अध्यक्ष की तलाश में है। फिलहाल प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों ही पदों पर कमलनाथ आसीन हैं। कमलनाथ खुद ही कई बार पार्टी हाईकमान के सामने अपने इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया से लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ तक जल्दी प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति की बात कह चुके हैं।

कांग्रेस में नए अध्यक्ष को लेकर मंथन का दौर जारी है तो दूसरी ओर भाजपा ने सांसद वी.डी. शर्मा को नया अध्यक्ष बना दिया है। शर्मा को सांसद राकेश सिंह के स्थान पर यह जिम्मेदारी दी गई है। लगातार इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि राकेश सिंह या कोई वरिष्ठ नेता अध्यक्ष बनाया जाएगा, मगर युवा को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देकर कांग्रेस को नए अध्यक्ष के लिए बेहतर नाम पर विचार करने को मजबूर कर दिया है।

कांग्रेस के विधायक संजय यादव ने खुले तौर पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी युवा को सौंपने की पैरवी की है। उनका कहना है, “भाजपा ने युवा नेता वी.डी. शर्मा को अध्यक्ष बनाया है, इसलिए कांग्रेस को भी युवा को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहिए। राज्य सरकार में तीन-चार मंत्री इसके लिए उपयुक्त हैं। वहीं कई विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने संगठन में काम किया है, उन्हें भी यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।”

कांग्रेस में अध्यक्ष पद के सबसे बड़े दावेदार के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिया जा रहा है, मगर उनकी राह में कांटे भी खूब बिछाए दिए गए हैं। इसके अलावा पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, राज्य सरकार में मंत्री उमंग सिंघार, कमलेश्वर पटेल, सज्जन वर्मा, बाला बच्चन, जीतू पटवारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के नाम भी सुर्खियों में हैं।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को आक्रामक के साथ प्रदेशव्यापी पहचान रखने वाले नेता को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपनी होगी। इसके अलावा नेता ऐसा हो जो संगठन और सत्ता के बीच समन्वय बनाकर रख सके। सत्ता और संगठन में किसी तरह का टकराव पार्टी के लिए घातक हो सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस में नए अध्यक्ष को लेकर अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है।

राज्य में आगामी दिनों में सियासी गर्मी बढ़ने की संभावना है। अगले माह जहां विधानसभा बजट सत्र है तो दो विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव और नगरीय निकायों के चुनाव भी करीब हैं। इन स्थितियों में दोनों ही दल जोर लगाएंगे। भाजपा संगठन के पास नई टीम होगी, वहीं कांग्रेस को भी ऐसी टीम तैयार करने की चुनौती है, जो मुकाबले में खड़ी नजर आए।

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