मतदाताओं के मौन से पार्टियां और उम्मीदवार चिंतित

मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा और लोकसभा के उपचुनाव का प्रचार धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा है, मगर मतदाताओं की चुप्पी बरकरार है जिसने राजनीतिक दलों के साथ उम्मीदवार की भी चिंताएं बढ़ा दी हैं।

राज्य में सियासी पारा चढ़ा हुआ है, प्रचार का दौर लगातार बढ़ता जा रहा है तो वही राजनेताओं के एक दूसरे पर हमले भी तेज हो चले हैं। तीन विधानसभा क्षेत्रों में रैगांव, पृथ्वीपुर और जोबट के अलावा खंडवा संसदीय क्षेत्र में उप-चुनाव हो रहे हैं, यह क्षेत्र पूरी तरह चुनावी रंग में रंगे हुए हैं। यहां हर रोज नेताओं की सभाएं हो रही हैं, जनसंपर्क चल रहा है तो वहीं दावे और वादे किए जा रहे हैं।

चुनाव प्रचार के लिए निकले नेताओं के द्वारा मतदाताओं के बीच अपने-अपने काम गिनाए जा रहे हैं। सत्ताधारी दल भाजपा जहां अपने द्वारा जनता के हित में किए गए कामों का ब्यौरा देकर लुभाने की कोशिश कर रही है, केंद्र सरकार की गरीब हितैषी योजनाओं का विवरण दिया जा रहा है।

उप-चुनाव में प्रचार कर रहे नेता और पार्टी के कार्यकर्ता तो खूब बोल रहे हैं मगर मतदाता पूरी तरह चुप हैं। मतदाता की इसी चुप्पी ने उम्मीदवार के साथ पार्टियों को भी चिंता बढ़ा दी है क्योंकि मतदाताओं की चुप्पी अबूझ पहेली बनी हुई है।

दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस की ओर से चारों स्थानों पर जीतने के दावे किए जा रहे हैं, मगर आश्वस्त कोई भी दल नहीं है। जिन चार स्थानों पर उप-चुनाव हो रहे हैं, उनमें से एक विधानसभा रैगांव और खंडवा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रतिनिधि निर्वाचित हुआ था। वहीं जोबट व पृथ्वीपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।

इन उप-चुनाव में भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार की कमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के हाथ में है तो कांग्रेस के प्रचार में प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव लगे हुए हैं। इस चुनाव में किसी भी दल का राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए नहीं आ रहा है।

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