भारत को स्विस बैंक के खाताधारकों की जानकारी मिली


काले धन के खिलाफ लड़ाई में सरकार को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच कालेधन की सूचना के स्वत: आदान-प्रदान की नई व्यवस्था के तहत भारत को अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों की पहली सूची स्विट्जरलैंड सरकार से हासिल हो गई है। हालांकि सूचनाओं का लेन-देन गोपनीयता की शर्त के साथ किया गया है। लिहाजा, उन भारतीयों के नाम और अन्य ब्योरे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

भारत अब उन 75 देशों में शामिल हो गया है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड सरकार ने बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां साझा की हैं। स्विट्जरलैंड के कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सितंबर 2020 में भारत के साथ फिर वित्तीय खातों की सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा।

विशेषज्ञों के अनुसार भारत को सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की नई व्यवस्था के तहत स्विट्जरलैंड के बैंकों में अपने नागरिकों के खातों के ब्योरे की पहली सूची हासिल हो गई है। दोनों देशों के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की इस व्यवस्था से भारत को विदेश में अपने नागरिकों के जमा कराए गए कालेधन के खिलाफ लड़ाई में काफी मदद मिलेगी। इन जानकारियों में बैंक खाते में जमा राशि से लेकर धनराशि ट्रांसफर करने के ब्योरे के साथ ही आय का भी पुख्ता विवरण मिला है। इसमें सिक्योरिटीज और अन्य संपत्तियों में निवेश आदि शामिल हैं।

प्रवासी भारतीयों व कारोबारियों के ब्योरे

अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर ब्योरे प्रवासी भारतीयों समेत देश के कारोबारियों के हैं। इनमें अधिकांश वह भारतीय हैं जो कुछ दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में जाकर बस गए हैं। कुछ भारतीय तो अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों में भी जा बसे हैं। इसके अलावा, कम से कम 100 ऐसे मामले उन भारतीयों के हैं जिनके खाते बहुत पुराने हैं। लेकिन इन लोगों ने किसी कार्रवाई से बचने के लिए 2018 से पहले ही इन खातों को बंद कर दिया।

स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने कुल 31 लाख वित्तीय खातों को साझा किया है और अपने साझीदार देशों से कुल 24 लाख ख्रातों की जानकारी पाई है। करीब 7500 वित्तीय संस्थान (बैंक, ट्रस्ट और बीमा कंपनियों) मौजूदा समय में एफटीए में पंजीकृत हैं।

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