भारत – ईरान के बीच ख़ास रिश्ते ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता !

भारत के नजदीक टैंकर पर हुए हमले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी है। अमेरिका ने दावा किया था कि टैंकर पर हमला करने वाला ड्रोन ईरान से आया था। अब ईरान ने अमेरिका के दावे को निराधार बताकर खारिज कर दिया है। ईरान ने इजरायल-हमास युद्ध को लेकर अमेरिका पर निशाना साधा है।

हालाँकि, पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में दो प्रस्ताव से साफ़ साबित हो चुका है कि भारत और ईरान के बीच रिश्ते की गाँठ कितनी मजबूत है। एक प्रस्ताव गाजा में मानवीय मदद पहुँचाने को लेकर था। जबकि दूसरा ‘ईरान में मानवाधिकार की स्थिति’ पर था, जिसमें अमेरिका के विरोध के बावजूद भारत ने रूसी और चीन के साथ मिलकर ईरान के पक्ष में वोट देकर ये साबित कर दिया था कि भारत-ईरान के रिश्ते कितने मज़बूत हैं। 

फोटो: दक्षिण अफ़्रीका में ब्रिक्स समिट के दौरान ईरान के राष्ट्रपति रईसी के साथ भारत के प्रधानमंत्री मोदी की मुलाक़ात की तस्वीर।

आइए जानते आख़िर वो दोनों प्रस्ताव कौन कौन से थे और किसने किसका साथ दिया। 

दरअसल शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने की मांग संबंधी एक प्रस्ताव अंगीकार किया है लेकिन इसमें युद्धविराम का कोई जिक्र नहीं था।

जिसके संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी कहा था कि सहायता प्रभावी ढंग से मिले इसके लिए युद्धविराम की बेहद ‘आवश्यकता’ है।

संयुक्त अरब अमीरात द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव पर कई दिनों तक गहन विचार विमर्श हुआ, इसके बाद 15 देशों की परिषद ने शुक्रवार को इसे अंगीकार कर लिया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा वहीं, वहीं रूस और अमेरिका मतदान में शामिल नहीं हुए थे।

दरअसल, इस प्रस्ताव में युद्धविराम का कोई जिक्र नहीं था, इसलिए विशेषज्ञों ने इसे ‘कमजोर’ करार दिया था।

उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने प्रस्ताव के अंगीकार किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा था कि गाजा में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मानवीय युद्धविराम ही एकमात्र तरीका है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि आज का सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव अंततः ऐसा करने में मदद कर सकता है, लेकिन अब भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।’

गाजा में इजराइल की ओर से शुरू किए गए युद्ध में अब तक 20,000 से अधिक फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है। गाजा के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

हालाँकि, इसके अलावा एक और प्रस्ताव ‘ईरान में मानवाधिकार की स्थिति’ पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान किया गया। ईरान में मानवाधिकार की स्थिति’ पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के खिलाफ भारत के साथ रूस और चीन ने भी प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया।

इस प्रस्ताव को 78 सदस्य देशों ने समर्थन दिया तो भारत, रूस, चीन सहित 30 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं भारत ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र में एक और अहम प्रस्ताव से खुद को दूर रखा।

इस प्रस्ताव पर भारत समेत 79 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया जबकि 78 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। इन दोनों ही प्रस्तावों को 19 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान के लिए रखा गया था। जिसमें भारत ने ईरान के पक्ष में वोट दिया तो यूक्रेन से जुड़े प्रस्ताव से खुद को दूर रखा।

दरअसल, यूएन में ईरान पर लाए गए प्रस्ताव में ईरान में मानवाधिकारों के कई उल्लंघनों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी। प्रस्ताव में धर्म और आस्था की स्वतंत्रता ना होना भी शामिल था। खासतौर से बहाई संप्रदाय के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार दफनाने पर अनुचित प्रतिबंध, उनके धार्मिक स्थानों के खिलाफ हमले इसमें शामिल थे। दूसरे मानवाधिकारों के उल्लंघन में उत्पीड़न, धमकी, उत्पीड़न, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत में वृद्धि शामिल थे। साथ ही प्रस्ताव में कहा गया है कि ईरान में आधिकारिक और अनौपचारिक मीडिया के माध्यम से नफरत को उकसाया जा सकता है, जो हिंसा को जन्म दे सकता है।

ऐसे में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अमेरिका द्वारा ईरान पर ताज़ा आरोप भारत को उकसाना भी मक़सद हो सकता है। ताकि भारत-ईरान के बीच रिश्तों में दरार पैदा की जा सके।

हालाँकि, ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने एक ब्रीफिंग में कहा, “इन दोहराए जाने वाले आरोपों को निराधार मानकर खारिज कर दिया जाता है।” उन्होंने कहा कि इसके बजाय अमेरिका को गाजा में इजरायल के युद्ध में अपनी भूमिका के लिए आरोपों का सामना करना चाहिए। ईरानी सरकारी मीडिया ने रविवार को बताया कि ईरानी नौसेना में दो नई मिसाइलों और हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया है। इनमें से एक मिसाइल की रेंज 1000 किमी से भी ज्यादा है, जबकि दूसरी 100 किमी तक मार कर सकती है।

मालूम हो कि गुजरात तट के पास एक टैंकर पर हमला होने के बाद अमेरिका ने इसका आरोप ईरान पर लगाया था। इसी को लेकर अमेरिका ने दावा किया था कि टैंकर पर ड्रोन हमला ईरान ने किया था।

-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी; Follow via X  (Twitter) @shahidsiddiqui

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