दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के कारण जानने के लिए BJP ने शुक्रवार से मंथन शुरू किया। पहले दिन की समीक्षा बैठक में पार्टी नेताओं ने तर्क दिया कि दिल्ली का चुनाव बाइपोलर (द्विध्रुवीय) हो गया था, जिस कारण BJP की हार हुई।
मंथन के बाद पार्टी नेताओं ने निष्कर्ष निकाला कि चुनाव आम आदमी पार्टी और BJP के बीच सिमट गया। कांग्रेस ने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में मिले करीब 10 प्रतिशत के बराबर भी इस चुनाव में वोट शेयर हासिल नहीं किया। यही कारण है कि पार्टी उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं जीत सकी। अगर कांग्रेस अपने हिस्से का वोट प्राप्त करती तो तस्वीर बदल सकती थी। यह तर्क देने वालों में प्रदेश अध्यक्ष (State President) मनोज तिवारी भी शामिल रहे।
दिल्ली प्रदेश कार्यालय पर शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक में चुनाव संचालन समिति से जुड़े सदस्यों से लेकर प्रदेश इकाई के नेता जुटे। पहले दिन की बैठक में जोन प्रभारी, विस्तारक और मोर्चो के प्रभारियों को बुलाया गया था। राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और विधानसभा चुनाव सह प्रभारी नित्यानंद राय के निर्देशन में दो चरणों में समीक्षा बैठक हुई।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस चुनाव में नेताओं ने हार के पीछे कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने सस्ता बिजली, पानी और महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त सफर जैसी योजनाओं का दांव चलकर एक वोटबैंक तैयार कर लिया।
वहीं कुछ नेताओं ने कहा कि शाहीनबाग के शोर में BJP के संकल्पपत्र के तमाम वादे दब गए, पार्टी सही तरह से दिल्ली के आम मतदाताओं से कनेक्ट नहीं हो सकी। वहीं कुछ नेताओं ने केजरीवाल के खिलाफ गैरजरूरी विवादित बयानों को उठाए जाने से जनता में नकारात्मक संदेश जाने की भी बात कही।
दिल्ली प्रदेश कार्यालय पर शनिवार को भी BJP समीक्षा बैठक करेगी। इस बैठक में प्रत्याशियों को भी बुलाया गया है। हर प्रत्याशी अपनी सीट पर हार के कारण बताते हुए रिपोर्ट पेश करेगा।