“बुद्ध जयंती पर लुंबिनी जाएँगे पीएम मोदी, द्विपक्षीय वार्ता में कई अहम फ़ैसले संभव”

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी 16 मई को नेपाल के एक दिनी दौरे पर जा रहे हैं। बुद्ध जयंती के मौके पर वह लुंबिनी पहुँचेंगे जहां नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। पीएम मोदी के दौरे से पहले भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मामले को लेकर शुक्रवार को एक स्पेशल प्रेस कांफ्रेस की और पीएम मोदी के नेपाल दौरे को लेकर जानकारी दी।

विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी नेपाल के अपने समकक्ष शेर बहादुर देउबा के निमंत्रण पर लुम्बिनी जायेंगे । वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी की यह पांचवीं नेपाल यात्रा होगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने नेपाल से कहा है कि नेपाल में चीनी कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे बिजली को भारत नहीं खरीदेगा के जवाब में विनय क्वात्रा ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच या किसी अन्य पड़ोसी देश के साथ बिजली व्यापार, बिजली मंत्रालय के सीबीटी दिशानिर्देशों द्वारा शासित होता है। उन्होंने आगे बताया कि बिजली आयात और निर्यात पर कोई भी फैसला उन दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाता है और ये दिशानिर्देश देश-विशिष्ट नहीं होते हैं।

बता दें कि हाल ही में नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा ने कहा था कि चूंकि भारत नेपाल में चीनी कंपनियों द्वारा उत्पादित ऊर्जा खरीदने को लेकर अनिच्छुक है। ऐसे में हम नेपाल में भारतीय डेवलपर्स की भागीदारी के लिए नरेंद्र मोदी से बात करेंगे।

ग़ौरतलब है कि नेपाल ने 2012 और 2017 में इसी परियोजना को लेकर चीनी कंपनियों के साथ समझौता किया था। फ़िलहाल सेती जलविद्युत परियोजना को लेकर भारत के साथ बातचीत जारी है। हालाँकि इससे पहले इस परियोजना पर वह चीन के साथ वार्ता कर रहा था, लेकिन अब नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा ने जानकारी दी है कि सेती जलविद्युत परियोजना को लेकर भारत के साथ बातचीत कर रहा है। इस परियोजना के तहत 1250 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है।

विनय क्वात्रा ने यह भी बताया कि दोनों नेता अप्रैल में नई दिल्ली में हुए बातचीत को आगे बढ़ाएंगे और संपर्क परियोजनाओं, जल विद्युत सहयोग सहित द्विपक्षीय व्यवस्था पर बातचीत करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जलविद्युत महत्वपूर्ण है। भारत ने नेपाल में जल विद्युत में निवेश किया है। यह बहुत विशाल है और दोनों देश इस संबंध में बातचीत कर रहे हैं।

पंचेश्वर परियोजना को लेकर विदेश सचिव ने बताया कि इस पर चर्चा जारी है और प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होगा। नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा के हालिया भारत यात्रा के दौरान यह सहमति बनी है कि दोनों पक्ष विशेषज्ञता का सम्मान करेंगे और इसे फास्ट ट्रैक पर रखेंगे।

पनबिजली परियोजनाओं का जिक्र करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध में पनबिजली का काफी महत्वपूर्ण स्थान है तथा भारत ने नेपाल में पनबिजली के क्षेत्र में काफी निवेश किया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच पनबिजली का कारोबार व्यापक रूप ले चुका है और इस बारे में दोनों के बीच लगातार वार्ता जारी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई प्रत्यक्ष घोषणा होगी या नहीं, इस बारे में अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा ।

क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री लुम्बिनी में मायादेवी मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। उनका नेपाल सरकार के तहत आने वाले लुम्बिनी विकास ट्रस्ट द्वारा बुद्ध जयंती के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करने का भी कार्यक्रम है।

इसके अलावा प्रधानमंत्री वहां प्रस्तावित बौद्ध संस्कृति एवं धरोहर केंद्र के शिलान्यास समारोह में भी हिस्सा लेंगे।

सीमा मुद्दे के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस विषय पर चर्चा के लिये दोनों देशों के बीच स्थापित तंत्र हैं। मालूम हो कि इसी साल जनवरी महीने में नेपाल सरकार ने कहा था कि भारत के साथ उसके सीमा विवादों का समाधान ऐतिहासिक तथ्य्यों और प्रमाणों के आधार पर होना चाहिए जिनमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवाद शामिल हैं।

हालाँकि इन सभी विवादों के बावजूद पीएम मोदी का महज कुछ घंटों का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि इस दौरे के सहारे भारत बीते चार सालों के दौरान रिश्तों में आई खटास को दूर करने के साथ ही कई सहयोग परियोजनाओं को भी रफ्तार देने की कोशिश करेगा। इससे पहले क़रीब एक महीने पहले नेपाल के पीएम देउबा भी अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए थे।

वहीं महज एक महीने के अंतराल में दोनों प्रधानमंत्रियों की यह दूसरी मुलाकात अब लुंबिनी में होने जा रही है, जो कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में गर्माहट लाने की दोतरफ़ा कोशिश है। उम्मीद है कि पीएम मोदी की ये यात्रा लुंबिनी की भारत के बौद्ध तीर्थस्थलों से बेहतर कनेक्टिविटी नेपाल के लिए पर्यटन और आर्थिक संभावनाओं के दरवाज़े खोल सकती है।

इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अधिसंख्य बौद्ध मतावलंबियों वाले जापान, दक्षिण कोरिया, कंबोडिया समेत पूर्वी एशिया के देशों में चीन की बजाए भारत के प्रति धार्मिक झुकाव ज़्यादा है। साथ ही भारत में मौजूद बौद्ध तीर्थ स्थलों से बेहतर कनेक्टिविटी नेपाल के लिए भी इन देशों से पर्यटकों की आवाजाही बढ़ा सकती है।

इतना ही नहीं संकेत हैं कि यूनेस्को विश्व धरोहर लुंबिनी में बुद्ध जयंति कार्यक्रम में पहुंच रहे पीएम मोदी, बौद्ध सर्किट साझेदारी और कनेक्टिविटी की अहम परियोजनाओं का ऐलान कर सकते हैं। प्रस्तावित योजना के तहत भारत की मदद से उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से लुंबिनी के बीच रेल लाइन बिछाए जाने की योजना है।

इससे लुंबिनी को भारतीय रेल के बुद्धिस्ट सर्किट से जोड़ने में मदद मिलेगी। साथ ही बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के जरिए कपिलवस्तु और लुंबिनी को भी जोड़ा जाना है। इन परियोजनाओं को लेकर भारत और नेपाल के बीच में बातचीत होती रही हैं। लेकिन रिश्तों की गाड़ी लड़खड़ाने से इन परियोजनाओं की रफ्तार भी गड़बड़ा गई।

डॉ. म. शाहिद सिद्दीक़ी
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