छिबरामऊ (कन्नौज)। साल दर साल आलू की मंदी से जूझ रहे किसानों ने फूलों की खेती पर दांव लगाया तो किस्मत बदल गई। क्षेत्र के दर्जनों किसान परंपरागत खेती को छोड़कर फूलों की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं। गुलदाउदी और ग्लेडियोलस की खेती कर किसानों ने कामयाबी की एक नई इबारत लिखी है।
क्षेत्र के ग्राम माधौनगर में दर्जनों किसानों ने गुलदाउदी और ग्लेडियोलस की खेती कर लोगों को नई राह दिखाई है। इस गांव के किसान महेशचंद्र ने बताया कि हर साल आलू की फसल में घाटा हो जाता था। लहसुन व प्याज का भी भाव अच्छा नहीं मिल पाता था। ऐसे में परंपरागत खेती को छोड़ने का मन बनाया तो कई लोगों ने हौसला अफजाई की। ग्लेडियोलस की खेती गांव में पहले से ही हो रही थी। उन्होंने गुलदाउदी की खेती कर मुनाफा कमाया है। जितनी आलू में लागत लगती है, उससे कम लागत में गुलदाउदी की फसल तैयार हो जाती है। मुनाफा आलू से अधिक होता है। गुलदाउदी को बिक्री के लिए दिल्ली या अन्य शहरों में भेजना पड़ता है। वहीं रमेशचंद्र का कहना है कि गुलदाउदी और ग्लेडियोलस दोनों ही सजावट तथा औषधि के रूप में काम आते हैं। फूलों की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। आलू या अन्य फसलों में काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसके मुताबिक लाभ नहीं मिल पाता है।
इस गांव के अन्य किसान भी फूलों की खेती कर कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं। स्थिति यह है कि माधौनगर से सटे गांव मनिकापुर, सिंहपुर, नगला भजा, रकरा, प्रेमपुर, नगला बाउरी, नगला खरउआ आदि गांवों में किसानों ने फूलों की खेती शुरू कर दी है। दो साल में फूलों की खेती का रकबा तीन गुना तक बढ़ा है।
फूलों की खेती से किस्मत बदल रहे किसान
गुलदाउदी और ग्लेडियोलस की खेती बन रही फायदे का सौदा, आलू की मंदी से जूझ रहे किसानों ने चुना बेहतर विकल्प