दुनिया के आधे से ज्यादा लोग सामाजिक सुरक्षा से वंचित

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी की रोकथाम और स्वास्थ्य कल्याण में हुए खर्चों के बावजूद हालात बदतर हैं | अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ की जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की आधा से ज्यादा आबादी के पास किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा नहीं है |

ये हाल तब है जबकि कोविड-19 की वैश्विक महामारी फैलने के बाद सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न उपायों में अभूतपूर्व विस्तार देखा गया है | 2020 में दुनिया के सिर्फ 47 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा उपाय तक प्रभावी पहुंच हासिल हो पाई थी | शेष 53 प्रतिशत लोग यानी करीब 4.1 अरब लोगों के पास कोई बचाव नहीं था |

सामाजिक सुरक्षा में हेल्थ केयर और आय की सुरक्षा भी शामिल है | जैसे बेरोजगारी के मामलों में, काम न कर पाने की स्थिति में, बुढ़ापे की वजह से और बच्चों वाले परिवारों में |

आईएलओ के महानिदेशक गी राइडर ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है- “सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से हम सब एक ही नाव पर सवार हैं | हमारे सुख और नियतियां अभिन्न हैं और परस्पर गुंथी हुई हैं, भले ही हमारी लोकेशन, पृष्ठभूमि या काम कुछ भी हो | अगर कुछ लोग बीमारी में या क्वॉरंनटाइन की अवस्था में आय की सुरक्षा का लाभ नहीं उठा पाते हैं तब वैसे हालात में पब्लिक हेल्थ का कोई मतलब नहीं रह जाएगा और हमारी सामूहिक खुशहाली भी बाधित होगी |”

सामाजिक सुरक्षा उपायों में तीखे अंतर वर्ल्ड सोशल प्रोटेक्शन रिपोर्ट 2020-22 में पूरी दुनिया भर की सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में हाल के बदलावों और सुधारों का आकलन किया गया है |

स्टडी के मुताबिक आज भी देश और इलाके के लिहाज से सामाजिक सुरक्षा का कवरेज यानी दायरा काफी अलग है | यूरोप और मध्य एशिया के लोगों को सबसे अच्छी सामाजिक सुरक्षा हासिल है | उनकी 84 फीसदी आबादी को कम से कम एक लाभ तो मिल ही रहा है | अमेरिकी महाद्वीप में ये दर 64.3 फीसदी है | एशिया और प्रशांत क्षेत्र के अलावा अरब देशों में भी आधा से थोड़ा कम आबादी को सामाजिक सुरक्षा मिली हुई है जबकि अफ्रीका में सिर्फ 17.4 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक लाभ ही मिल पाया है |

आईएलओ के मुताबिक, दुनिया के अधिकांश बच्चों के पास सामाजिक सुरक्षा नहीं है | दुनिया में चार मे से सिर्फ एक बच्चे को एक सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल पाता है | नवजात शिशुओं वाली सिर्फ 45 प्रतिशत मांओं को ही नकद मातृत्व लाभ मिल पाता है | गंभीर विकलांगता वाले तीन में से सिर्फ एक व्यक्ति को विकलांगता से जुड़े लाभ मिल पाते हैं और नौकरी गंवाने वाले पांच में से सिर्फ एक व्यक्ति को ही सामाजिक सुरक्षा मिल पाती है |

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