त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी पार्टी ने सीएए के खिलाफ विरोध तेज किया


नागरिकता कानून में संशोधन के मसले पर पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी के चार अन्य सहयोगी दल भी नाराज़ हैं. ये हैं- इनमें नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), इंडीज़िनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी), मीज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और नगालैंड डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी). ये सभी पार्टियां भाजपा के नेतृत्व वाले पूर्वोत्तर जनतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) का हिस्सा हैं. एनईडीए में 11 दल शामिल हैं. लाेक सभा चुनाव के लिहाज़ से भाजपा को इस गठबंधन और क्षेत्र से अपने लिए सबसे ज़्यादा उम्मीद है.

हालांकि ख़बरों की मानें तो नागरिक कानून में संशोधन की भाजपा की कोशिश ने उसके पूर्वोत्तरीय सहयोगियों को बेचैन कर दिया है. इनमें असम गण परिषद (एजीपी) तो दो दिन पहले भाजपा का साथ छोड़ ही चुकी है. मेघालय में सरकार चला रही एनपीपी के कॉनराड संगमा ने भी कहा है, ‘हम इस संशोधन का समर्थन नहीं करते. हम अपने सहयोगी (पूर्वोत्तर के) दलों के साथ मिलकर जल्द ही आगे की रणनीति तय करेंगे.’ मेघालय में भाजपा की दो सीटें हैं और वह एनपीपी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है.

आईपीएफटी के सहायक महासचिव मंगल देबबर्मा ने भी यही कहा है. आईपीएफटी त्रिपुरा में भाजपा सरकार को समर्थन दे रही है. हालांकि वहां भाजपा के पास पूर्ण बहुमत (35 सीट) है और आईपीएफटी के पास आठ सीटें. लेकिन लोक सभा चुनाव के हिसाब से भाजपा के लिए आईपीएफटी का समर्थन मायने रखता है. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री और एमएनएफ के प्रमुख ज़ोरामथांगा ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक लोक सभा में पारित किए जाने से हम बेहद नाराज़ हैं. हम उम्मीद करते हैं यह राज्य सभा में पास नहीं होगा. और अगर हुआ तो हमें अपना अलग रास्ता देखना होगा.’ मिज़ोरम में भाजपा के पास सिर्फ़ एक विधानसभा सीट है.

नगालैंड में एनडीपीपी प्रमुख और मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने अपने मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाकर नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा की है. बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि इस मसले पर केंद्र सरकार से बातचीत की जा रही है. उसे संशोधन वापस लेने के लिए राजी करने की कोशिश की जा रही है. एनडीपीपी सरकार में भाजपा भी शामिल है. ग़ौर करने की बात है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता कानून में संशोधन विधेयक लेकर आई है. यह फिलहाल राज्य सभा में है. इसमें पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश से आए ग़ैर-मुस्लिम शरणार्थियों को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का बंदोबस्त किया गया है.

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