चेक सांसदों से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर, द्विपक्षीय संबधों पर हुई चर्चा

चेक सांसदों से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर, यूरोपीय यूनियन और चेक गणराज्य के साथ द्विपक्षीय संबधों पर हुई चर्चा

स्लोवाकिया और चेक गणराज्य के अपने दौरे के आखिरी चरण में विदेश मंत्री शनिवार को चेक गणराज्य के प्राग पहुंचे थे। चेक गणराज्य एक जुलाई से यूरोपीय यूनियन की अध्यक्षता संभालेगा

स्लोवाकिया और चेक गणराज्य की पांच दिवसीय यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को यूरोपीय संसद के चेक सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद ट्वीट कर इस मुलाकात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुलाकात के दौरान यूरोपीय यूनियन और चेक गणराज्य के साथ भारत के संबंधों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा तथा डिजिटल सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

यूरोपीय संसद के चेक सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल में जान जहरादिल, टॉम जेडेचोव्स्क, मिकुल पेक्सा और वेरोनिका व्रेकोनोव शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का धन्यवाद किया।

[विदेश मंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी
उन्होंने ट्वीट किया कि ‘चेक सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करके प्राग में अपने कार्यक्रमों की शुरुआत की। यूरोपीय संघ और चेक गणराज्य के साथ भारत के संबंधों, हिंद-प्रशांत, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटल सहयोग पर अच्छी चर्चा हुई।’ गौरतलब है कि स्लोवाकिया और चेक गणराज्य के अपने दौरे के आखिरी चरण में विदेश मंत्री शनिवार को चेक गणराज्य के प्राग पहुंचे थे। चेक गणराज्य एक जुलाई से यूरोपीय यूनियन की अध्यक्षता संभालेगा।

यूक्रेन में रूस के हमले के असर से जूझ रहा है यूरोप
जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब यूरोप यूक्रेन में रूस के हमले के असर से जूझ रहा है। भारतीय विदेश मंत्री के चेक गणराज्य के दौरे में यह मुद्दा भी उठने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे से पहले कहा था कि वह चेक गणराज्य के विदेश मंत्री जान लिपाव्स्की के साथ वार्ता करेंगे। इसमें दोनों देशों के बीच सहयोग की समग्र समीक्षा होगी। साथ ही विदेश मंत्री चेग गणराज्य में पढ़ रहे भारतीय छात्रों और प्रवासियों से संवाद करेंगे।

चीन अपना रहा आक्रामक रणनीति

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को देखते हुए भारत, अमेरिका और दुनिया के अन्य देश हिंद-प्रशांत इलाके को स्वतंत्र, खुले और संपन्न क्षेत्र सुनिश्चित करने की जरूरत पर बात कर रहे हैं।

चीन दक्षिण चीन सागर में कई इलाकों पर अपना दावा करता आ रहा है जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलयेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर अपना दावा करते रहे हैं। इतना ही नहीं, बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में सैन्य प्रतिष्ठान और कृत्रिम द्वीप भी बना लिए हैं।

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