चीन क्यों नेपाल को कह रहा है, जल्द करो इस प्रोजेक्ट को पूरा, क्या भारत पर होगा कोई असर?

चीन ने नेपाल में नई सरकार से अपनी महत्वाकांक्षी बीआरआई परियोजनाओं के लिए कार्यान्वयन योजना को अंतिम रूप देने का आग्रह किया है, जो हिमालयी राष्ट्र में लगातार राजनीतिक परिवर्तनों के कारण आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रही है. पद संभालने के बाद अपनी पहली चीन यात्रा पर आए नेपाल के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ की मंगलवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा हुई.

चीन हिमालयी राष्ट्र में अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं में तेजी लाना चाहता है. प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल ‘प्रचंड’ द्वारा नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ सरकार बनाने के बाद नेपाल में नया राजनीतिक गठबंधन देखने को मिल रहा है, जिसका नेतृत्व चीन समर्थक नेता के पी शर्मा ओली कर रहे हैं. वांग ने कहा कि एक मित्रवत पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार के रूप में, चीन ने हमेशा नेपाल को अपनी पड़ोस कूटनीति की एक महत्वपूर्ण दिशा में रखा है.

एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने श्रेष्ठ से कहा, “चीन उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट और रोड सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नेपाल के साथ काम करने और विकास एवं समृद्धि के लिए चिरस्थायी मित्रता की चीन-नेपाल रणनीतिक साझेदारी को एक नए और उच्च स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है.”
उन्होंने कहा कि चीन अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में नेपाल का दृढ़ता से समर्थन करता है और नेपाल के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपनी सर्वोत्तम क्षमता से सहायता करना जारी रखेगा.

नेपाल और चीन ने सात साल पहले 12 मई, 2017 को बीआरआई रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और चीनी पक्ष ने 2019 के अंत में योजना को आगे बढ़ाया था. नेपाली विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट ने बताया कि नेपाली पक्ष द्वारा शर्तों के बारे में गंभीर आपत्ति व्यक्त करने के बाद, यह तर्क देते हुए कि नेपाल को चीन से वाणिज्यिक ऋण में कोई दिलचस्पी नहीं है, और बीआरआई ढांचे के तहत समर्थन स्वीकार करने के लिए कई अन्य शर्तें निर्धारित की गईं, बीआरआई परियोजनाओं और कार्यान्वयन योजना पर बातचीत रोक दी गई.

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