गुजरात के स्कूलों की स्थिति पर मनीष सिसोदिया ने लिखा गुजरात के सीएम को पत्र

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री से वहां के स्कूलों की हालत का जिक्र किया है। सिसोदिया ने मुख्यमंत्री को बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने गुजरात का दौरा किया था और कुछ स्कूलों की हालत बेहद खराब स्थिति में पाई।

हालांकि सिसोदिया ने यह भी कहा कि गुजरात में निश्चित तौर पर ही कई अच्छे सरकारी स्कूल भी होंगे।

दिल्ली सरकार में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री को दिल्ली के स्कूल देखने का आमंत्रण भी दिया है। वहीं दूसरी ओर जब सिसोदिया गुजरात के स्कूलों का दौरा कर रहे थे तो भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा दिल्ली के स्कूलों की स्थिति का वीडियो बनाकर उसे साझा कर रहे थे।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा को दिल्ली का एक भी ऐसा स्कूल नहीं मिला, जहां बच्चों के पास बैठने के लिए बेंच या टीचर नहीं थे। दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों का कायापलट किया है, जिसकी वजह से सरकारी स्कूलों के बच्चों का एडमिशन आईआईटी और जेईईई में हो रहा है।

स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी के मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र की यूपीएससी, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल रिक्रूट करती है। हम कई बार कह चुके हैं कि हमारे प्रिंसिपल रिक्रूट करिए, लेकिन यूपीएससी वो फाइल रोककर बैठी हुई है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि मनोज तिवारी से आग्रह है कि अगर उनको सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की इतनी ही चिंता है, तो अपनी केंद्र सरकार से वो फाइल निकलवा कर प्रिंसिपल रिक्रूट कराएं।

दिल्ली के स्कूलों की स्थिति को लेकर एनसीपीसीआर द्वारा उठाए गए सवाल पर आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि भाजपा की केंद्र सरकार, उनके सांसद और नेता, जो हमेशा धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करते आए हैं, आज वे कम से कम शिक्षा की बात तो कर रहे हैं। यही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल मॉडल की सफलता है कि देश की हर पार्टी को आज स्कूलों की बात करनी पड़ रही है।

विधायक आतिशी ने कहा कि मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के भी कुछ स्कूल देखकर आएं। उन्हें तब पता चलेगा कि किस तरह कबाड़खाने में स्कूल चल रहे हैं। बच्चों के पास बैठने के लिए बेंच नहीं हैं। पीने के लिए पानी नहीं है और टॉयलेट नहीं हैं। बीते 7 साल में दिल्ली की सरकार ने सरकारी स्कूलों का कायापलट किया है।

उसी की वजह से आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों का एडमिशन आईआईटी और जेईईई में हो रहा है और प्राइवेट स्कूलों से बेहतर नतीजे आ रहे हैं। यही कारण है कि मनोज तिवारी, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा को एक भी ऐसा स्कूल नहीं मिला, जहां बच्चों के पास बैठने के लिए बेंच नहीं था या टीचर नहीं थे। बड़ी मुश्किल से उन्होंने दो-चार ऐसे स्कूल खोज कर निकाले और कहा कि यहां दीवारों पर व्हाइट वॉश नहीं हुआ है।

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