नई दिल्ली, – केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा परिसर में जैविक पद्धति से फसल उगाने पर हो रहे प्रयोग का निरीक्षण किया।
साथ ही कृषि वैज्ञानिकों से गोबर जैविक खाद तैयार करने पर अनुसंधान करने की अपील की, ताकि कम खर्च पर इसके संयंत्र लगाए जाएं और किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध हो सके।
कैलाश चौधरी ने कहा कि, सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है, इसलिए किसानों को यूरिया व अन्य रासायनिक उर्वरक की बजाय पशुओं के गोबर व गोमूत्र से तैयार की जाने वाली खाद उपयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से दुनियाभर में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। जैविक उत्पादों के लिए उपभोक्ता कोई भी कीमत देने को तैयार हैं। ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
कैलाश चौधरी ने आगे कहा, मोदी सरकार देश के अलग-अलग हिस्सों में क्लस्टर बनाकर जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है, ताकि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने में सहायता मिले। देश में 40,000 क्लस्टर चिन्हित कर लिए गए हैं। इसी तरह 150 से अधिक किसान उत्पादक संगठनोने 80,000 हेक्टेयर में उत्पादन शुरू कर दिया है।
कृषि राज्यमंत्री आईसीएआर के विभिन्न संस्थानों के कार्यकलापों के निरीक्षण के अपने कार्यक्रम के तहत यहां आए थे और उन्होंने जैविक पद्धति से परिसर में उगाई गई खरीफ फसलों का निरीक्षण भी किया। पूसा परिसर स्थित जैविक ब्लॉक में परीक्षण के तौर पर जैविक पद्धति से धान, मक्का और अरहर की फसलें उगाई गई हैं।
वैज्ञानिकों से गोबर और गोमूत्र पर अनुसंधान करने को लेकर केंद्रीय मंत्री के सुझाव के संबंध में पूछे गए सवाल पर डॉ. सिंह ने कहा, गोबर गैस पर देश में सबसे पहले अनुसंधान यहां पर हुआ था और गोमूत्र भी निश्चित रूप से शोध का विषय है और हमारे यहां भी इस पर शोध किया जाएगा।