श्रीवास्तव ने कहा कि ये सुविधाएं गरीबों, निराश्रितों, प्रवासी मजदूरों को दी जा रही हैं, जिन्हें केवल भोजन की आवश्यकता होती है और जो अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं, लेकिन मानक स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के कारण वे क्वारंटीन में हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ एक संयुक्त ब्रीफिंग में मीडिया को संबोधित करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की स्थिति ‘नियंत्रण में’ है और उनके नियोक्ता और उद्योगों द्वारा 13.6 लाख मजदूरों को भोजन और आश्रय की सुविधा प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के मद्देनजर सरकार ने दवा, चिकित्सा उपकरणों और उनके कच्चे माल जैसे आवश्यक सामानों के निर्माण और पैकेजिंग की अनुमति दी है।
उन्होंने कहा कि 3 अप्रैल को अपने दिशानिर्देश में, सरकार ने इन विनिर्माण इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों के अंतर्राज्यीय गतिविधि को छूट दी थी।
कुछ दवा कंपनियों की समस्याओं का समाधान करते हुए श्रीवास्तव ने कहा, गृह सचिव अजय भल्ला ने रविवार को संबंधित राज्यों को अपने क्षेत्रों में ऐसी विनिर्माण इकाइयों को पूरा समर्थन देने के लिए लिखा है।
गृह सचिव ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करें ताकि ऐसी इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों की आवाजाही लॉकडाउन अवधि के दौरान बाधित नहीं होना सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से हमें उम्मीद है कि लॉकडाउन सफल होगा।