‘औरंगजेब की पत्नी हिंदू थी, पति की मौत के बाद होना चाहा सती’

दुनिया में जिस मुगल बादशाह औरंगजेब का इतना खौफ है, उसकी दो बीवियां हिंदू थीं- नवाब बाई और उदैपुरी। इनका अपने पति से प्रेम और समर्पण इतना गहरा था कि एक पत्नी उदैपुरी का इरादा था कि अगर किसी वजह से औरंगजेब की मौत पहले हो जाए तो वो जीने की बजाए सती होना पसंद करेगी।

औरंगजेब ने खुद अपने बेटे को लिखे एक खत में हिंदू पत्नी की इस इच्छा का खुलासा किया था. यह भी इत्तेफाक ही था कि औरंगजेब और उदैपुरी की मौत का साल भी एक ही है. उसकी भी मौत भी सन 1707 में ही औरंगजेब की मौत के कुछ महीने बाद हो गई।

बिलीमोरिया के रुक्काते आलमगीरी के अंग्रेजी अनुवाद ‘लेटर्स ऑफ औरंगजेब’ में इसका जिक्र है, जब आलमगीर अपने बेटे कामबख्श के नाम एक खत में उदैपुरी के सती होने की बात कहता है।

औरंगजेब का किरदार दशकों से खासकर हिंदू तबके में विवादों के घेरे में रहा है. उसके साथ कई सवाल जुड़े हैं. मसलन क्या वह संगीत से नफरत करता था? उसने मंदिर क्यों तोड़े? मथुरा और काशी के मंदिर तोड़ने के पीछे की हकीकत क्या है? औरंगजेब की सेना में कितने हिंदू मनसबदार थे, थे भी या नहीं? कौन थी वो लड़की जिसे देखकर औरंगजेब बेहोश हो गया? बल्ख में ऐसा क्या हुआ कि पूरा इस्लामिक जगत उसका लोहा मानने लगा?

औरंगजेब की आदतों के साथ उसकी नीतियों को लेकर भी गाहे-बगाहे सवाल उठते रहते हैं और उसके नायक या खलनायक होने की बहस बदस्तूर चलती रहती है. औरंगजेब को लेकर सवालों, आरोपों के अंधड़ के बीच यह साफ नहीं हो पाता कि हकीकत दरअसल है क्या।

ऐसे में ‘औरंगजेब नायक या खलनायक’ नामक 6 खंडों की किताब वास्तव में उन आरोपों, सवालों की हकीकत जानने या ये कहें फैक्ट चैक करने की एक मजबूत कोशिश है. इसमें हर उस सवाल का जवाब है जो बीते कुछ सवालों में औरंगजेब को लेकर उठा है। इसी किताब का एक अंश औरंगज़ेब के वैवाहिक संबंधों पर भी रौशनी डालता है जो अब तक अंधेरे में रही थी। बड़ा हिस्सा हिंदू पत्नी से उसके प्रेम पर है।

औरंगजेब ने अपने आखिरी वक़्त में लिखे एक पत्र में बेटों से दिल की बात की है। साथ ही हिंदू पत्नी उदैपुरी से जन्म बेटे कामबख्श को कुछ हिदायतें भी दी हैं। पत्र के अंत में उसने कामबख्श की मां का जिक्र किया है, वो लिखता है-

उदैपुरी… तुम्हारी मां मेरी बीमारी में मेरे साथ है। वह मेरे साथ ही दूसरी दुनिया में भी जाने के लिए तैयार है (वह मेरे मरते ही सती होने की तैयारी में है) ईश्वर तुम्हें शांति दे।

साल 1667 में उदैपुरी ने काम बख्श को जन्म दिया। जब औरंगज़ेब पचास की उम्र का हो चला था, तब वो जवान थी। पत्नी के प्रेम और खूबसूरती का असर औरंगज़ेब पर आखिरी वक्त तक बना रहा। उसी के असर के चलते औरंगजेब ने कामबख्श की कई गलतियों को माफ कर दिया। कामबख्श शराबनोशी किया करता। सत्ता और कामकाज से खास मतलब नहीं था। ऐसे में उससे कई भूलें हो जाया करती थीं जो बादशाह को नागवार गुजरतीं लेकिन पत्नी के प्रभाव में वो उसे माफ करता रहा।

हैं कई विवाद

उदैपुरी के हिंदू होने पर विवाद भी हैं। कामबख्श की मां को कुछ लोग जॉर्जिया की ईसाई मूल की महिला मानते थे, जिसे दारा ने खरीदा था और उसके मारे जाने पर वह औरंगजेब के पास चली गई। समकालीन यूरोपीय यात्री मनुच्ची ने भी उस जॉर्जियन दासी बताया है जिसे औरंगज़ेब ने दारा के महल से हासिल किया था। जो अपने पहले मालिक दारा के हारने के बाद औरंगजेब के पास चली गई। उस वक़्त वो कम उम्र थी।

अन्य लेखकों के मुताबिक़ वह जोधपुर की सिसोदिया राजपूत महिला थी। एक बार उसे चित्तोढ़ के राणा राजपूत ने पकड़ लिया लेकिन उसने औरंगजेब के पास उसे वापस सम्मान के साथ भेज दिया। यह 1679 की बात है। राजपूतों का इतिहास लिखने वाले मेजर टोड और मराठा इतिहास लिखने वाले ग्रांड डफ ने उसे जोधपुरी कहा है।

पड़ताल में भी पेंच

हालांकि जदुनाथ सरकार ने हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब के वॉल्यूम 1 में पेज 65 पर टोड की बात को खारिज किया है कि उदैपुरी औरंगजेब की पत्नी थी न कि दासी. यहीं नहीं जदुनाथ ने औरंगज़ेब के रुक्काते आलमगीरी में लिखे गए पत्र जो इस बात को साफ तस्दीक करता है कि उदैपुरी औरंगजेब की पत्नी थी, उसे भी खारिज कर दिया. लेकिन जदुनाथ की तरफ से इसे खारिज करने की कोई मजबूत वजह नहीं रखी गई। यहां जदुनाथ का यह कहना था कि किसी राजपूतनी ने जिसकी शादी बादशाह से हुई हो, कभी किसी बादशाह के मौत के बाद जान नहीं दी. हालांकि उनका यह तर्क इस बात पर इस बात पर सहीं नहीं ठहर पाता कि उदैपुरी औरंगजेब की पत्नी नहीं थी।

किताब में संदर्भ का आधार उन लेखकों के काम को बनाया गया है जो उसके दौर में थे या फिर आज से करीब अस्सी साल पहले तक जो लिखा गया ताकि तथ्यों की विश्वसनीयता बनी रहे।

 

इसका पहला खंड औरंगजेब की शुरुआती जिंदगी से जुड़ा है जिसमें उसकी व्यक्तिगत जिंदगी से जुड़ी हैरतअंगेज जानकारियां हैं. जो इससे पहले कभी सामने नहीं आई।

मसलन उसका संस्कृत भाषा ज्ञान, उसका एक लड़की को देखकर बेहोश हो जाना, उसकी हिंदू पत्नियां, उसके युद्ध के मैदान के किस्से और साथ ही औरंगजेब और उसके पिता शाहजहां के बीच सत्ता संघर्ष से पहले हुआ बेहद महत्वपूर्ण पत्र व्यवहार।

 

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *