उप्र सरकार ने दिवाली से पहले 25000 होमगार्डो की सेवा समाप्त की


उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और शांति व्यवस्था कायम करने के लिए पुलिस महकमे के बजट से लगाए गए 25 हजार होमगार्ड की सेवाएं लेने से पुलिस महकमे ने मना कर दिया है। एडीजी पुलिस मुख्यालय बीपी जोगदंड ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
इसमें कहा गया है कि कानून व्यवस्था के दृष्टिगत पुलिस विभाग में रिक्तियों के सापेक्ष 25000 होमगार्ड की ड्यूटी लगाई गई थी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 28 अगस्त को हुई बैठक में इस ड्यूटी को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। इसी क्रम में शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय प्रयागराज की ओर से आदेश जारी कर होमगार्ड की तैनाती तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई है।

सूत्रों का कहना है कि पुलिस के सिपाही के बराबर होमगार्ड को वेतन दिए जाने के न्यायालय के निर्देश के बाद प्रदेश में होमगार्ड का एक दिन का वेतन 500 रुपये से बढ़कर 672 रुपये हो गया था। इसका सीधा प्रभाव जिलों के बजट पर पड़ रहा था। इसी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ेगा असर
फिलहाल जिलों को जो 25 हजार होमगार्ड उपलब्ध कराए गए थे उसका अधिकतर इस्तेमाल ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए हो रहा था। ऐसे में होमगार्ड की सेवा अचानक समाप्त होने से ट्रैफिक व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

होमगार्ड को अब 25 नहीं, 15 दिन का मिलेगा काम
सिपाही के बराबर होमगार्ड का वेतन देने का फैसला होमगार्डों के लिए मायूसी का सबब बनने जा रहा है। बढ़े हुए वेतन के चक्कर में पुलिस महकमे ने तय किया है कि वह होमगार्ड से काम नहीं लेगा। यानी एक साल पहले गृह विभाग ने सिपाहियों के रिक्त पदों के स्थान पर जो 25 हजार होमगार्ड लगाए थे, उनकी सेवाएं समाप्त करने का आदेश दिया है। यह निर्णय उच्चतम न्यायालय के आदेश से गड़बड़ाए बजट को बैलेंस करने के लिए लिया गया है।

प्रदेश में होमगार्ड के पद 1 लाख 18 हजार हैं। इसमें से 19 हजार पद रिक्त हैं। पिछले महीने 92 हजार होमगार्ड की ड्यूटी लगाई जा रही थी जबकि उपलब्ध होमगार्ड की संख्या 99 हजार थी।

25 दिन ड्यूटी का मिलता था मौका
ड्यूटी रोटेट करके काम देने से प्रत्येक होमगार्ड को 25 दिन ड्यूटी का मौका मिलता था। अब 25 हजार ड्यूटी खत्म होने से रोटेशन में एक-एक होमगार्ड को महीने में अधिकतम 15-15 दिन का काम मिल पाएगा। ऐसे में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लाभ मिलने के बजाए नुकसान होने जा रहा है।

उदाहरण के तौर पर पहले रोज 500 रुपये भत्ता और 25 दिन काम मिलने से उसे महीने में 12,500 रुपये मिलते थे। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे 672 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता मिलेगा, लेकिन काम 15 दिन का ही मिलेगा। यानी महीने भर में उसे 10 हजार 80 रुपये ही मिलेंगे।

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