‘इन खिलौनों से हमारे बच्चे खेलते हैं…’ इजरायल के ड्रोन हमलों का ईरानी विदेश मंत्री ने यूं उड़ाया मजाक

ईरान के हमलों के ख़िलाफ़ इज़रायल की जवाबी कार्रवाई के बाद, ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियन ने इसे ज़्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह कोई हमला नहीं था, लेकिन यह “कोई ड्रोन नहीं था, बल्कि उन खिलौनों जैसा था जिनसे हमारे बच्चे खेलते हैं.” यह प्रतिक्रिया एनबीसी न्यूज के साथ मंत्री के साक्षात्कार के दौरान आई जब इजरायल ने शुक्रवार तड़के ईरानी शहर इस्फ़हान के पास एक सैन्य हवाई क्षेत्र पर हमला किया.

सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर 1 अप्रैल के हमले और उसके बाद ईरान की तरफ से इज़रायल पर जवाबी हमलों के मद्देनजर ईरान पर इज़रायल के पहले हमले को देखते हुए पश्चिम एशिया में तनाव का माहौल है. हालांकि, ईरानी मीडिया ने कहा कि इजरायली हमले से परमाणु सुविधाओं पर कोई असर नहीं पड़ा और रिपोर्टों से यह भी पता चला कि इस दौरान कोई हताहत भी नहीं हुआ.

इजरायली बंधकों की रिहाई के लिए वार्ता में कमी वास्तव में इज़रायल-हमास युद्ध और इज़रायल-ईरान के बीच तनाव के किसी भी संभावित समाधान के लिए परेशानी खड़ी कर रही है. वार्ता में कोई प्रगति नहीं होने के लिए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को दोषी ठहराते हुए, ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, “इजरायली सेना हमास को नष्ट करने या गाजा के अंदर नेताओं को गिरफ्तार करने में सक्षम नहीं है, यह हमास को निरस्त्र करने में सक्षम नहीं है, वह हमास के हथियारों और उपकरणों को भी नष्ट नहीं कर सकता है.”

अमीराब्दुल्लाहियन ने कहा, “इसलिए उसे महिलाओं और बच्चों की हत्या का सहारा लेना पड़ा… और अब बातचीत की मेज पर, वे वह हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जो उन्हें जमीन पर नहीं मिल सका.” विशेषज्ञों और विश्लेषकों के हवाले से मीडिया आउटलेट्स ने यह भी बताया है कि ईरानी शहर पर उक्त इजरायली हमले पर मौन प्रतिक्रिया का मतलब यह हो सकता है कि दोनों पक्ष तनाव कम करना चाहते हैं.

इस्फ़हान पर शुक्रवार के हमले, जहां ईरान के परमाणु हथियार उद्योग के प्रमुख स्थल हैं, को व्यापक रूप से पिछले सप्ताहांत में इजरायली क्षेत्र पर ईरानी ड्रोन और मिसाइलों द्वारा बड़े पैमाने पर हमले की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया है. उस हमले को 1 अप्रैल को ईरानी दूतावास परिसर पर हुए हमले की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया था, जिसका श्रेय इज़रायल को दिया गया है.

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