आरसीईपी : भाजपा ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट, प्रधानमंत्री करेंगे फैसला


भारत सहित 16 देशों के बीच निशुल्क व्यापार समझौते(एफटीए) का आरएसएस से संबंधित संस्था स्वदेशी जागरण मंच के विरोध को गंभीरता से लेते हुए भाजपा ने एक रिपोर्ट तैयार कर उसे केंद्र सरकार को भेजी है। यह रिपोर्ट मुक्त व्यापार समझौते पर सवाल उठाने वाले संघ के सहयोगी संगठनों, उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों और थिंक टैंक से जुड़े लोगों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में समझौते का विरोध और समर्थन करने वालों के विचार शामिल हैं।

भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, “आरसीईपी के मसले पर हमने इंडस्ट्री से लेकर सभी हितधारकों व थिंक टैंक से जुड़े लोगों के विचार लिए हैं। कुछ ने आरसीईपी का विरोध किया तो तमाम ऐसे भी प्रतिनिधि हैं, जिनका मानना है कि हमें इस मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहिए। हमने सभी के विचारों को लेते हुए पूरी रिपोर्ट तैयार कर पार्टी अध्यक्ष को भेजी है, वहां से रिपोर्ट सरकार के पास जाएगी। इस मसले पर प्रधानमंत्री अंतिम निर्णय लेंगे।”

बी.एल. संतोष और गोपाल ने बनाया समन्वय :

मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में केंद्र सरकार के आगे बढ़ने पर जब स्वदेशी जागरण मंच ने 10 से 20 अक्टूबर तक देश भर में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी तो भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू की। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने संघ में लंबा समय बिताकर आए संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष और आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल को इस मामले में समन्वय बनाकर समाधान तलाशने की जिम्मेदारी दी।

इस सिलसिले में बीते सोमवार को विभिन्न उद्योग संगठनों और स्वदेशी जागरण मंच के प्रतिनिधियों के साथ दोनों नेताओं ने बैठक कर आरसीईपी पर उनकी राय जानी थी। अब पूरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेज दी गई है।

उल्लेखनीय है कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी(आरसीईपी) के तहत साझेदार देशों भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ 10 आसियान देशों के बीच एक बड़े मुक्त व्यापार समझौते की कवायद चल रही है। इसी सिलसिले में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल नौवीं क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) की मंत्री स्तरीय बैठक (11-12 अक्टूबर) में भाग लेने थाईलैंड के बैंकाक में हैं। बैंकाक में चार नवंबर, 2019 को होने वाली नेताओं की तीसरी शिखर बैठक के पहले यह अंतिम मंत्री स्तरीय बैठक है।

स्वदेशी जागरण मंच क्यों कर रहा विरोध :

आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संघ के स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि एक तो वैसे ही देश की अर्थव्यवस्था खराब चल रही है, दूसरी तरफ मुक्त व्यापार समझौता होने से चीन आदि देशों की कंपनियां भारत में सस्ते सामान डंप करेंगी, जिससे भारत के घरेलू उद्योग बर्बाद हो जाएंगे। ऐसा होने पर नौकरियों का और संकट पैदा होगा।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने इस समझौते से होने वाले नुकसान के बारे में बीते 10 अक्टूबर को एक ट्वीट किया था, “चीन 17 करोड़ साइकिल बेच रहा है, जबकि भारत मात्र 1.70 करोड़ साइकिल ही बेच पा रहा है। ऐसे में अगर चीन को भारत में आरईसीपी के जरिए फ्री ट्रेड की इजाजत दे दी गई तो पंजाब की साइकिल इंडस्ट्री पूरी तरह तबाह हो जाएगी।”

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