हृदयगति तेज रहना वृद्धों में डिमेंशिया का जोखिम बढ़ा सकता है

वृद्धावस्था में आराम करते समय भी हृदयगति तेज रहना मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का जोखिम बढ़ा सकता है। एक नए शोध में यह पता चला है।

अल्जाइमर एंड डिमेंशिया पत्रिका में प्रकाशित शोध-निष्कर्ष से पता चला है कि जिन लोगों की हृदयगति औसतन 80 बीट प्रति मिनट या इससे अधिक होती है, उनमें 60-69 बीट प्रति मिनट की हृदयगति वाले लोगों की तुलना में डिमेंशिया का जोखिम 55 प्रतिशत अधिक होता है।

करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक युम इमाहोरी ने कहा, हमारा मानना है कि यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि आराम करते समय दिल की धड़कन तेज रहने से डिमेंशिया के जोखिम वाले रोगियों की पहचान की जा सकती है या नहीं।

इमाहोरी ने कहा, अगर हम ऐसे मरीजों के क्रिया-कलाप का सावधानीपूर्वक आकलन करें और कुछ असामान्य दिखने पर टोक-टाक करते रहें, तो डिमेंशिया देरी से शुरू हो सकता है। असामान्य क्रिया-कलाप ऐसे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता पर काफी प्रभाव डाल सकते हैं।

शोध टीम ने 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 2,147 व्यक्तियों के आराम करते समय उनकी हृदयगति का अध्ययन किया और पाया कि कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों में डिमेंशिया पैदा हो सकता है।

टीम ने यह भी पाया कि चूंकि आराम करने के समय दिल धड़कने की दर को मापना आसान है और व्यायाम या चिकित्सा उपचार के माध्यम से इसे कम किया जा सकता है।

अल्जाइमर डिजीज इंटरनेशनल संगठन के अनुसार, डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या 2050 तक वैश्विक स्तर पर बढ़कर 13.9 करोड़ होने की उम्मीद है। साल 2020 में संख्या 5.5 करोड़ थी।
इस समय डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन प्रमाण बताते हैं कि एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और हृदय का स्वास्थ्य ठीक बनाए रखने से डिमेंशिया देर से शुरू हो सकती और इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।

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