स्कूल कॉलेज बंद होना शिक्षा की निरंतरता और सरकार के लिए नई चुनौती: आर्थिक सर्वेक्षण

बार-बार किए गए लॉकडाउन का शिक्षा क्षेत्र पर काफी प्रभाव पड़ा है। केंद्र का कहना है कि इसके वास्तविक प्रभाव को आंकना मुश्किल है क्योंकि इसके लिए नवीनतम उपलब्ध व्यापक आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है।

केंद्र के पास नवीनतम डेटा 2019-20 से पहले का है। आर्थिक सर्वेक्षण बताया गया है कि यह कोविड पूर्व प्रवृत्तियों को प्रदान करता है, लेकिन हमें यह नहीं बताता कि कोविड-19 से प्रेरित प्रतिबंधों से शैक्षणिक प्रवृत्ति कैसे प्रभावित हुई होगी।

प्रारंभिक कोविड-19 प्रतिबंधों के दौरान, छात्रों को कोविड-19 से बचाने के लिए एहतियाती उपाय के रूप में, पूरे भारत में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए थे। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्कूल कॉलेज बंद होना शिक्षा की निरंतरता के मामले में सरकार के समक्ष एक नई चुनौती है।

दरअसल बार-बार स्कूल बंद किए जाने की प्रक्रिया में लाखों छात्र ड्रॉप आउट हो चुके हैं। अब तक लाखों बच्चे स्कूली पढ़ाई से हाथ धो चुके हैं, क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा के लिए उचित बुनियादी सुविधाएं और संसाधन उनकी पहुंच से परे हैं।

इस अभूतपूर्व संकट के सामाजिक-आर्थिक दुष्परिणामों को बारीकी से देखने वाले प्रख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कई शोधकर्ताओं के सहयोग से स्कूली बच्चों की ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई (स्कूल) पर एक गहन अध्ययन किया जिसका शीर्षक स्कूल शिक्षा पर आपातकालीन रिपोर्ट है। इसका यह निष्कर्ष है कि ग्रामीण भारत के केवल 8 फीसद स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा है जबकि कम से कम 37 फीसद पूरी तरह से पढ़ाई छोड़ चुके हैं।

अजीम प्रेमजी युनिवसीर्टी ने पांच राज्यों में किए गए एक शोध में विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता कम होने के प्रत्यक्ष प्रमाण प्राप्त किए हैं। शोध से यह भी सामने आया है कि बच्चों के बुनियादी ज्ञान कौशल जैसे पढ़ने, समझने, या गणित के आसान सवाल हल करने में भी वे पिछड़ रहे हैं जोकि चिंताजनक है।

कुछ महीने पहले कोविड पॉजिटिव दर में कमी देख कर कई राज्यों ने स्कूल खोल कर कक्षा में पढ़ने-पढ़ाने की अनुमति दी थी। लेकिन ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों ने फिर संस्थानों को बंद करने पर लाचार कर दिया।

महामारी का पूरे भारत में लाखों स्कूलों और कॉलेजों को प्रभावित करने वाली शिक्षा प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। चूंकि शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े केवल 2019-20 तक उपलब्ध हैं, महामारी के वर्ष 2020 और 2021 के दौरान नामांकन और स्कूल छोड़ने की दर पर महामारी के प्रभाव का आकलन व्यापक आधिकारिक आंकड़ों के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, नीति निमार्ताओं ने वैकल्पिक स्रोतों को ध्यान में रखा है।

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