सोमवार को हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक

न्यूयॉर्क: भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में यूक्रेन मुद्दे पर हुई (UNSC Meeting on Ukraine) वोटिंग से दूरी बनाए रखी। यह दूसरी बार है, जब भारत ने यूक्रेन संकट को राजनयिक और रचनात्मक वार्ता के ज़रिए सुलझाने के लिए कहा है| संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, ”भारत इस संकट का समाधान चाहता है और यह तत्काल तनाव में कमी लाकर हासिल किया जा सकता है। इसमें सभी देशों को सुरक्षा हितों का ख़्याल रखना चाहिए| इसका लक्ष्य इस इलाक़े में लंबी अवधि के लिए शांति और स्थिरता होना चाहिए| भारत सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है। 20 हज़ार से ज़्यादा भारतीय छात्र और अन्य लोग यूक्रेन और उसके सीमाई इलाक़ों में रहते हैं।’’

यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा शुरू करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हुई वोटिंग से भारत ने अनुपस्थित रह कर  साफ कर दिया कि वह अपने कूटनीतिक हितों पर दो टूक फैसला करता रहेगा।

वोटिंग से भारत के अनुपस्थित होने को एक तरह से रूस के साथ उसके रणनीतिक रिश्तों से जोड़ कर देखा जा रहा है। इससे अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों पर छाया पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है।

माना जा रहा है कि भारत इस मुद्दे पर किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं करना चाहता था। अगर भारत रूस के पक्ष में वोट देता तो इससे अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश नाराज हो सकते थे।

वहीं, अगर भारत यूक्रेन के समर्थन करता तो इससे रूस के साथ रिश्तों पर गंभीर असर पड़ सकता था। ऐसे में भारत ने बीच का रास्ता चुनते हुए मतदान से दूरी बनाए रखी। यूक्रेन और रूस के बीच इस समय युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।

रूस ने अपनी सीमा पर 1 लाख सैनिकों को भारी हथियारों के साथ तैनात किया हुआ है। वहीं यूक्रेन भी अमेरिका और बाकी नाटो देशों के हथियारों को रूसी सीमा पर भेज रहा है।

यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। बैठक से पहले, रूस, एक स्थायी और वीटो-धारक सदस्य, ने यह निर्धारित करने के लिए एक प्रक्रियात्मक वोट का आह्वान किया कि क्या खुली बैठक आगे बढ़नी चाहिए। रूस और चीन ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया।

नॉर्वे, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आयरलैंड, ब्राजील और मैक्सिको सहित परिषद के अन्य सभी 10 सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया।

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