द यूनिवर्सिटी ऑफ बेडफोर्डशायर और द यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किए जाने के बाद अभिनेता शाहरुख खान को अब द यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ (लंदन) द्वारा चैरिटी के काम के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई है। अभिनेता को गुरुवार को 350 से ज्यादा छात्रों के ग्रेजुएशन समारोह के दौरान इस उपाधि से सम्मानित किया गया. अभिनेता ने पिछले कई सालों में खुद को एक सफल अभिनेता, फिल्म निर्माता, टेलीविजन होस्ट, परोपकारी और उद्यमी के तौर पर स्थापित किया है।
फिल्म ‘माई नेम इज खान’ के अभिनेता ने भारत में मानव अधिकारों के लिए काम कर लोगों का प्यार बटोरा है. उन्होंने भारत सरकार के कई अभियानों को समर्थन दिया है जिसमें पल्स पोलियो और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन से जुड़े अभियान भी शामिल है। उन्होंने मेक-अ-विश फाउंडेशन सहित कई परोपकारी संस्थाओं के साथ काम किया है।
शाहरुख ने एक बयान कहा, “मेरा मानना है कि चैरिटी का काम खामोशी और गरिमा के साथ करना चाहिए. किसी को अपने चैरिटी के काम के बारे में ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए क्योंकि इससे फिर इसका मकसद खो जाता है. मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि एक पब्लिक पर्सनालिटी होने की वजह से मैं ऐसे अभियानों से जुड़ सका जो मेरे दिल के करीब है।”
उन्होंने कहा, “मैं सक्रिय रूप से महिला सशक्तिकरण, वंचितों के पुनर्वास और मानवाधिकारों जैसे मुद्दों से जुड़ा रहता हू। मेरा मानना है कि दुनिया ने मुझे बहुत कुछ दिया है और बदले में मुझे भी इसे भी कुछ देना चाहिए. इस मानद उपाधि से खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हू. इस उपाधि के लिए मेरा चयन करने के फैसले से जुड़े हर शख्स का धन्यवाद करता हू।”
शाहरुख का गैर-सरकारी संगठन मीर फाउंडेशन मुख्य रूप से एसिड अटैक की शिकार पीड़िताओं के लिए काम करता है और इसका मकसद महिलाओं को सशक्त बनाना है. एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए काम करने के लिए उन्हें 2018 में दावोस (स्विट्जरलैंड) में क्रिस्टल अवार्ड से सम्मानित किया गया था।