राजस्व विभाग ने आंकड़ों के विश्लेषण (डेटा एनालिटिक्स) के जरिये फर्जी जीएसटी रिफंड के 931 दावों की पहचान की है। विभाग ने इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (तैयार माल की तुलना में कच्चे माल पर अधिक शुल्क) के संबंध में शुल्क रिफंड के दायर सभी पुराने और लंबित दावों की जांच का जिम्मा जीएसटी की डेटा एनालिटिक्स शाखा को सौंपा है। चालू वित्त वर्ष में इस व्यवस्था के तहत 27,000 से ज्यादा करदाताओं ने 28,000 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड दाखिल किए हैं। सूत्रों ने कहा कि इन में से जिन करदाताओं ने कर की हेराफेरी करके लिए कर विवरण दाखिल न करने वाली इकाइयों से माल खरीदे हैं उनकी लेन-देन की जांच और सत्यापन जरूर कराया जाएगा। रा जस्व सचिव अजय भूषण पांडे इसकी साप्ताहिक समीक्षा और निगरानी कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी को रोकने के लिए साल 2017 से सभी रिफंडों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया जाना है। आईटीसी के तहत मूल्य वर्धन श्रृंखला में कच्चे/ मध्यवर्ती माल और सेवाओं पर चुकाए गए कर के लिए छूट/रिफंड का दावा किया जा सकता है। जीएसटी अधिकारियों ने पिछले साल नवंबर तक धोखाधड़ी के 6,641 मामले दर्ज किए हैं , जिनमें 7,164 इकाइयां संलिप्त बतायी गयी हैं और अब तक करीब 1,057 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। सूत्रों ने कहा कि धोखाधड़ी के इस तरह के सबसे ज्यादा मामले कोलकात क्षेत्र में दर्ज किए गए हैं। इसके बाद दिल्ली, जयपुर और हरियाणा है।
उन्होंने कहा कि जांचकर्ताओं ने दिल्ली में डेटा एनालिटिक्स के जरिए एक बड़े धाखाधोड़ी मामले का खुलासा किया है। इसमें 500 इकाइयों का नेटवर्क तैयार किया था, जिसमें फर्जी इनपुट टेक्स क्रेडिट का लाभ लेने के लिए फर्जी बिल बनाने वाले, बिचौलिये, वितरक और हवाई चप्पलों के कागज पर चल रहे विनिर्माता शामिल थे। सूत्रों ने कहा कि चप्पल बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल ईवीए कम्पाउंड पर 18 प्रतिशत का शुल्क लगता है जबकि चप्पल पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। ऐसी स्थितियों के लिए जीएसटी कानून में विनिर्माताओं को उल्टे कर ढांच से संबंधित रिफंड का दावा करने का अधिकार देता है।