राजस्थान सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए जरूरी कदम

 

जयपुर: राजस्थान में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के साथ-साथ राजस्थान सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए कुछ प्रभावशाली उपायों की घोषणा की है।

इसके साथ ही सरकार ने कोविड-19 के प्रसार और उसके बाद देशव्यापी बंद से उपजे हालात के बाद राज्य की अर्थव्यस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।

आकलन है कि मांग में गिरावट और श्रम शक्ति की कम उपलब्धता के साथ, उद्योग को सामान्य स्थिति में आने में कम से कम 3 महीने लगेंगे।
मुख्यमंत्री के वर्तमान सलाहकार और पूर्व वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष समूह भी बनाया गया है।

लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने के बाद कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले विशिष्ट कदमों को लेकर यह समूह विचार-विमर्श कर रहा है।

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मंदी के वर्तमान हालात में राज्य की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पीएम केयर्स फंड से अनुदान जारी करने के साथ-साथ ऋण अदायगी को टालने और ब्याज में कमी करने और कई अन्य उपायों को लागू करने की मांग की है।

आसन्न वित्तीय दिवाला से निपटने के लिए, सरकार ने राज्य की उधार सीमा को दो प्रतिशत तक बढ़ाने और लंबित जीएसटी क्षतिपूर्ति को शीघ्र जारी करने का भी अनुरोध किया है।

सरकार ने कृषक समुदाय की सहायता के लिए कई उपाय भी किए हैं। उदाहरण के लिए, खेतिहर मजदूरों को 21 दिन का अग्रिम भुगतान दिया गया है, ताकि वे लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच, आवश्यक वस्तुओं और भोजन की खरीद कर सकें।

इसके अलावा, चूंकि कोटा में फसलों की कटाई 15 मार्च से शुरू होती है और राज्य के बाकी हिस्सों में यह काम 1 अप्रैल से होता है, लिहाजा कोटा में खरीद 16 अप्रैल से शुरू होगी, जबकि अन्य जिलों के लिए, पंजीकरण 16 अप्रैल से शुरू होगा।

भीड़ को कम करने और परिवहन दूरी को कम करने के लिए, सरकार ने संग्रह केंद्रों की संख्या दोगुनी कर दी है। पहले मंडियां नियमित संग्रह केंद्र थीं, अब 400 ग्राम सेवा समितियां और कई और मंडियों में यह काम किया जा रहा है।

इस दिशाा में केंद्र से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की सीमा को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 फीसदी तक करने का भी अनुरोध किया गया है, ताकि किसानों और जरूरतमंदों को फायदा हो और क्वारेंटाइन स्थलों पर रहने वाले बेसहारा लोग भी लाभान्वित हो सकें।

प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है कि राज्य के निवासियों में से किसी को भी आवश्यक वस्तुएं हासिल करने में कोई समस्या न हो। राज्य सरकार ने केंद्र से भारतीय खाद्य निगम के खाद्य भंडार सभी के लिए उपलब्ध कराने को कहा है, क्योंकि वर्तमान में खाद्य निगम के गोदामों में अनाज की भरमार है।

राज्य में लगभग 200 ऐसे उद्योग हैं, जिनमें खाद्य, दवा, आयुष औषधियां, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण, कोयला और खनिज, और स्वच्छता उत्पादों के साथ-साथ ऐसे उद्योग भी शामिल हैं जो इन उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं।

राजस्थान कई अन्य राज्यों में भी कच्चे माल और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति करता है।

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