यूक्रेन-रूस संकट का राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान चाहता है भारत

“रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते विवाद के बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम इस मामले का शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस का दौरा करेंगे।”

नई दिल्ली- (१७ फ़रवरी) :विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच जारी तनाव को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम निरंतर राजनयिक बातचीत के माध्यम से तत्काल इसका समाधान करने में जुटे हैं। मिन्स्क समझौतों को अमल में लाने के लिए नॉरमैंडी प्रारूप के तहत किए जा रहे प्रयासों का स्वागत है। हम स्थिति का राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूक्रेन में फँसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के बारे में कहा कि भारत ने यूक्रेन से निकासी अभियान पर कोई निर्णय नहीं लिया है और हमारा ध्यान छात्रों और अन्य नागरिकों सहित भारतीय नागरिकों पर बना हुआ है। मीडिया ब्रीफिंग में उन्होंने आगे कहा कि रूस और यूक्रेन तनाव के बीच कीव में दूतावास द्वारा घटनाक्रम की निगरानी की जा रही है।

प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं। हमारे पास 24/7 हेल्पलाइन भी है। मुझे नहीं लगता कि निकासी पर कोई निर्णय लिया गया है, हमारा दूतावास सामान्य रूप से काम कर रहा है और यूक्रेन में भारतीय नागरिकों को सेवाएं प्रदान कर रहा है।”

इससे पहले दोनों देशों के बीच बढ़ते विवाद को लेकर अमेरिका ने कहा था कि भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है, हम उम्मीद करते हैं कि रूस अगर यूक्रेन पर आक्रमण करता है तो भारत अमेरिका का साथ देगा। चार देशों (QUAD) के विदेश मंत्रियों के बीच हाल में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में हुई बैठक में रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हुई थी, जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया जापान और अमेरिका के विदेश मंत्री शामिल हुए थे।

इसके अलावा अरिंदम बागची ने जानकारी दी कि विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। जर्मनी में वह म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे। वह विदेश मंत्रियों और सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।

बागची ने कहा, म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में वह इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेंगे और एक आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भी चर्चा करेंगे, जिसकी मेजबानी म्यूनिख में हमारे भारत के महावाणिज्य दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा की जाएगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि विदेश मंत्री जर्मनी के बाद फ्रांस का दौरा करेंगे, जहां वो अपने फ्रांसीसी समकक्ष जीन यूइस ली ड्रियन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। उसके बाद विदेश मंत्री पेरिस जाएंगे. विदेश मंत्री 22 फरवरी को इंडो-पैसिफिक में सहयोग के लिए यूरोपिय संघ के मंत्रिस्तरीय मंच में भी भाग लेंगे, जो यूरोपिय परिषद की फ्रांसीसी अध्यक्षता की एक पहल है। वहीं बागची ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोपिय संघ और इंडो-पैसिफिक देशों के समकक्षों के साथ बैठक के बाद फ्रेंच इंस्चीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में एक भाषण देंगे।

अपनी मीडिया ब्रीफिंग में बागची ने कहा कि भारत ने कनाडा सरकार द्वारा देश के ट्रक ड्राइवरों के विरोध को दबाने के लिए आपातकालीन अधिनियम लागू करने की ओर ध्यान दिया है और वह कनाडा के घटनाक्रम को देख रहा है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हम कनाडा में नाकेबंदी और विरोध के संदर्भ में घटनाक्रम को देख रहे हैं। हमने देखा है कि कनाडा की सरकार ने वास्तव में आपातकालीन अधिनियम लागू किया है।

दिसंबर 2020 में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में आए थे और कहा था कि उनका देश शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहेगा। इस बयान से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। भारत ने भारतीय किसानों को समर्थन देने वाली टिप्पणियों के लिए ट्रूडो पर निशाना साधा था और टिप्पणी को अनुचित करार दिया था क्योंकि मामला एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित था।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा भारत की विदेश नीति के संदर्भ में दिए गए बयान पर अरिंदम बागची ने कहा कि वह एक राजनीतिक बयान था न कि किसी नीति के तहत दिया गया बयान। जहां तक चीन की बात है तो सारी चीजें साफ हैं कि कैसे स्थिति उत्पन्न हुईं।

ग़ौरतलब है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब यूरोप ने भी भारत के साथ आने का फैसला किया है। फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-वेस द्रायन ने एक ऑनलाइन समिट के दौरान कहा था कि उनका देश यूरोपियन यूनियन और हिंद प्रशांत के बीच रिश्तों को लेकर 22 फरवरी को पेरिस में एक समारोह आयोजित करेगा। इस कार्यक्रम को पेरिस फोरम का नाम दिया गया है। द्रायन ने कहा कि इस कार्यक्रम का एजेंडा हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, कनेक्टिविटी और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने से जुड़ा होगा।

फ्रांस के इस फैसले का भारत ने भी स्वागत किया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘द फ्रेंच प्रेसिडेंसी ईयू-इंडिया पार्टनरशिप’ ऑनलाइन समिट में फ्रांस के इस कदम की तारीफ करते हुए कहा, “फ्रांस भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अहम मौजूदगी रखता है. ऐसे में भारत और फ्रांस की साझेदारी बढ़ना, वह भी हिंद-प्रशांत को ध्यान में रखते हुए एक सामयिक फैसला है। मैं पेरिस में आयोजित होने वाले समारोह के लिए न्योते को भी स्वीकार करता हूँ और इसमें हिस्सा लेना मेरे लिए सम्मान की बात होगी”। यह भारत और फ्रांस के बीच बढ़ती कूटनीतिक साझेदारी का उदाहरण है।

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अब तक हमने क्वाड के दूसरे देशों के साथ जुड़ने पर चर्चा नहीं की है. इमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि क्वाड के बाकी तीन सदस्यों का इस पर क्या विचार है. क्वाड अभी काफी नया संगठन है. हमें अपना एजेंडा तय करने में अभी काफी समय लगेगा. हिंद-प्रशांत के अलावा अफ्रीका को लेकर भारत के प्रयासों पर जयशंकर ने कहा था, “मोदी सरकार ने अफ्रीका में 18 नए दूतावास खोले हैं। हमने अफ्रीका में अपने विकास के वादों को निभाना जारी रखा है।वहां अभी भी काफी काम किए जाने की जरूरत है।”

– डॉ. म. शाहिद सिद्दीक़ी ,
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