मास्टर जी की क्लास से ड्रोन-रोबोट टेक्नोलॉजी पर आधारित क्लास तक का सफर

बिहार के करीब 28 हजार मिडिल स्कूलों में छठी से आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा मिलेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रविधान के तहत एनसीईआरटी के द्वारा तकनीकी पाठ्यक्रम को लागू किए जाने की तैयारी है। ये पाठ्यक्रम तीन से छह माह के होंगे। बिहार के करीब 28 हजार मिडिल स्कूलों में छठी से आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा मिलेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रविधान के तहत एनसीईआरटी के द्वारा तकनीकी पाठ्यक्रम को लागू किए जाने की तैयारी है। ये पाठ्यक्रम तीन से छह माह के होंगे। पाठ्यक्रम में बेसिक कंप्यूटर शिक्षा को भी शामिल किया जाएगा। तकनीकी शिक्षा के तहत विद्यार्थियों को प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भी कराया जाएगा।

ये ख़बर किसी भी गाँव में रहने वाले छात्रों के लिए एक सपने जैसा ज़रूर है, लेकिन ये आज संभव है जो इस युग की ज़रूरत भी है। इसे अमली जामा पहनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने एक पत्र भेजकर शिक्षा विभाग को मिडिल स्कूलों में तकनीकी शिक्षा को लागू किए जाने को भी कहा है। यही पत्र अन्य राज्यों को भी लिखा गया है। नये सत्र से तकनीकी शिक्षा सभी मिडिल स्कूलों में लागू किया जाएगा।

दरअसल, शिक्षा विभाग को मिले पत्र के मुताबिक, मिडिल स्कूलों में तकनीकी शिक्षा देने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा छात्र-छात्राओं को रोजगारपरक कौशल और तकनीकी रूप से दक्ष बनाना है। इसलिए सरकार ने तकनीकी शिक्षा के तहत छात्र-छात्राओं को निशुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। तकनीकी शिक्षा के लिए तीन से छह माह का पाठ्यक्रम का करिकूलम यानी पाठ्यचर्या एसीसीईआरटी को भेजी जा चुकी है।

बता दें कि इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में डाटा साइंस और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस समेत अन्य व्यवसायिक शिक्षा से जुड़े नियमित पाठ्यक्रम शुरू कराने के लिए कहा था।

ड्रोन और रोबोट टेक्नोलॉजी समेत उभरती हुई ऐसी सभी तकनीक में छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसकी आइटी सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में ज्यादा मांग है। 9वीं से 12वीं कक्षा तक में तकनीकी शिक्षा काे धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। इसमें विद्यार्थी अपनी रुचि के मुताबिक किसी भी क्षेत्र का चुनाव कर सकेंगे।

शिक्षा विभाग का कहना है कि तकनीकी शिक्षा की नियामक एजेंसी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) द्वारा स्कूली शिक्षा में सभी छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखकर प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। प्रशिक्षण से जुड़े जो कोर्स डिजाइन किए गए है, उनमें आईटी सेक्टर की मांग को ध्यान में रखा गया है, ताकि छात्रों को इन प्रशिक्षण के बाद तुरंत किसी निजी कंपनी में नौकरी मिल सके या फिर वे अपना रोजगार शुरू कर सकें।

इससे पहले अबतक शिक्षा व्यवस्था को देखकर महसूस होता रहा हैं कि तमाम शिक्षण संस्थाएँ उपाधियां बांट रहे है मगर रोजगार नहीं है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का अभाव है। लंबे समय से नई शिक्षा नीति की जरुरत महसूस की जाती रही हैं मगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। आज के आधुनिक तकनीकी युग में कई पाठ्य सामग्री प्रासंगिक नहीं रह गई है।

गौरतलब है कि वर्तमान में जो शिक्षा नीति अमल में है यह वर्ष 1986 में तैयार की गई थी, जो कोठारी आयोग के प्रतिवेदन पर आधारित थी उसमे सामाजिक दक्षता, राष्ट्रीय एकता तथा समाजवादी समाज की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। हालांकि 1992 में उसमे कुछ बदलाव जरूर किए गए लेकिन तब भी वह वर्तमान दौर की आवश्यकताओं की पूर्ण रूपेण पूर्ति कर पाने में सफल नहीं हो पाई। वर्तमान केन्द्र सरकार ने नई शिक्षा नीति समय के साथ शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन कर इस बात का संकेत देती है कि शिक्षा सिर्फ सर्टिफिकेट के लिए न हो, बल्कि शिक्षा पाने का मतलब जीवन में बदलाव से हो। नई शिक्षा नीति के अमल में आने से युवाओं को न सिर्फ बदलती दुनिया की जरूरतों के प्रति समझ बढेगी, बल्कि नए-नए रोजगार के भी अवसर देगी। आने वाले दिनों में ये नीति ज़रूर एक बड़े बदलाव के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

-जितेंद्र सिंह

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