मस्जिद की मौजूदगी हिंदुओं के विश्वास को डिगा न पाया : सुप्रीम कोर्ट


अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कहा कि विवादित स्थल पर मस्जिद की मौजूदगी हिंदुओं की आस्था व विवादित स्थल पर भगवान राम के जन्म लेने के विश्वास को हिला नहीं पाई।’ प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अयोध्या मामले पर अपने फैसले में कहा, “मस्जिद की भौतिक संरचना भगवान राम के विवादित स्थल पर जन्म के हिंदुओं के आस्था व विश्वास को डिगा नहीं पाई।”

इस पांच सदस्यीय पीठ के दूसरे न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, एस.ए.नजीर, डी.वाई.चंद्रचूड़ व अशोक भूषण ने कहा, “साक्ष्य संकेत देते हैं कि स्थल पर मस्जिद होने के बावजूद हिंदू उस जगह को भगवान राम की जन्म स्थली मानकर पूजा करते करते रहे।”

पीठ ने कहा, “हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाले एक जगह पर इस्लामिक संरचना के मौजूदगी के बाद भी उन्हें पूजा करने से नहीं रोका और उन्होंने विवादित स्थल पर पूजा जारी रखी।”

अदालत ने पाया कि अंग्रेजों द्वारा विभाजन के लिए दीवार बनाए जाने के बाद भी हिंदुओं ने मुख्य गुंबद के नीच अपने पूजा के अधिकार को दृढ़ता से रखा।

पीठ ने कहा, “रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि व्यक्तियों ने मूर्तियों को स्थापित करने का कार्य किया और अंदर के प्रांगण के बाहर व भीतर पूजा शुरू की। यहां तक कि ‘राम चबूतरा’ के स्थापना के बाद तीर्थयात्री ‘गर्भगृह’ में भी पूजा-अर्चना करने लगे। गर्भगृह तीन गुंबद वाली संरचना के अंदर स्थित है।”

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