ममता ने तकिया, कंबल उद्योग में कांस घास के फूल के उपयोग का सुझाव दिया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मिठाई और तेलेबाजा (मकई के आटे से बने कुरकुरे पकौड़े) उद्योग के बाद कांस घास के फूल (सफेद फूल जो बंगाल में शरद ऋतु में खिलता है और रुई जैसा दिखता है) से घुमावदार तकिया और कंबल बनाने का उद्योग लगाने का सुझाव दिया।

हावड़ा में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान उन्होंने जिला प्रशासन को शटलकॉक उद्योग को और सुविधाजनक बनाने के लिए डक फेदर प्रोजेक्ट शुरू करने का भी निर्देश दिया।

ममता ने कहा, काश फूल (कांस घास का फूल) हावड़ा के साथ-साथ ग्रामीण बंगाल में प्रचुर मात्रा में है। हम इन प्राकृतिक वस्तुओं को संरक्षित कर सकते हैं, जिनका उपयोग तकिए और कंबल के निर्माण के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। हम इन चीजों को निर्यात भी कर सकते हैं।

उन्होंने एमएसएमई विभाग को इस सुझाव पर काम करने को भी कहा, ताकि यह कारोबार का प्रभावी ढंग से चल सके।

मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन से स्थानीय व्यापार को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने को कहा। हावड़ा चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों ने कहा कि हावड़ा में शटलकॉक एक बहुत लोकप्रिय उद्योग है, लेकिन बतख के पंख की कमी है जो शटलकॉक के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है।

मुख्यमंत्री ने एमएसएमई विभाग के सचिव विवेक कुमार से डक पोल्ट्री विकसित करने को कहा, ताकि पंखों की आपूर्ति में कोई कमी न हो।

एमएसएमई विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हमने पहले ही बीरभूम के सीतामपुर और कुशांबी में और नादिया के कल्याणी में दो बतख पोल्ट्री शुरू कर दी हैं। हम और अधिक पोल्ट्री विकसित करेंगे, ताकि शटलकॉक निर्माण के लिए पंखों की पर्याप्त आपूर्ति हो।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले दो वर्षो में हावड़ा में 20.48 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इसके अलावा 1,16,000 से अधिक नौकरियों का सृजन हुआ है।

उन्होंने कहा कि और 10,460 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और 1,56,000 रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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