मप्र में शिवराज की युवाओं को लुभाने की कोशिश

देश में कोरेाना महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां छीनी है, वहीं भर्ती अभियान पर भी असर पड़ा है। इतना ही नहीं रोजगार के बेहतर अवसर न मिलने पर युवाओं में असंतोष भी पनप रहा है।

इस स्थिति को भांपते हुए मध्य प्रदेश में युवाओं को बेहतर अवसर, सरकारी नौकरी और निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने के वादे कर लुभाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।

राज्य में बड़ा वर्ग है युवा मतदाताओं का। कुल मतदाताओं में आधे से अधिक मतदाता 18 से 40 वर्ष की आयु के है। कुल मिलाकर सियासी गणित को मजबूत करने के लिए युवाओं का साथ जरुरी है।

यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस वर्ग केा लुभाने के प्रयास तेज कर दिए है और यह बात गणतंत्र दिवस के मौके पर भी नजर आई।

मुख्यमंत्री ने चौहान ने युवाओ को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार के प्रयासों का हवाला दिया और वादा किया कि आगामी एक साल में एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगीं। पिछले एक साल में सरकारी नौकरियों में 44 हजार भर्तियां की हैं। भर्ती का यह अभियान जारी रहेगा।

अगले साल तक एक लाख युवाओं को शासकीय सेवा में लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया कि सभी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती इसलिए अन्य के लिए निजी क्षेत्र में नौकरी दिलाने के प्रयास होंगे।

सरकारी और निजी क्षेत्र में अवसर मुहैया कराने के वादों के साथ मुख्यमंत्री चौहान ने स्टार्ट अप पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, स्टार्ट-अप के लिये प्रदेश में अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया जायेगा। स्टार्ट-अप के लिये वित्तीय मदद तथा अन्य सुविधाएँ मुहैया करायी जायेंगी। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे आगे आकर अधिक से अधिक स्टार्ट-अप प्रारंभ करें।

राज्य शासन उन्हें पूरी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि, इंदौर केा स्टार्ट-अप कैपिटल बनाया जाएगा, स्टार्ट-अप को मदद करने के लिए वेंचर फंड की स्थापना की जाएगी। इस संबंध में कारगर योजना बनाई जाएगी।

इंदौर को आईटी हब बनाने की दिशा में भी तेजी से कार्य होंगे। बेरोजगार सेना के अध्यक्ष अक्षय हुंका ने मुख्यमंत्री की घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा कि, देश के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं का रोजगार को लेकर गुस्सा बढ़ रहा है, यह बात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी जानते हैं।

वे सिर्फ घोषणाएं कर सकते है और अब तक यही करते आ रहे है। 5 साल पहले 100 करोड़ की मुख्यमंत्री वीसी फंड योजना चालू की गई थी। इसमें एक भी कंपनी को एक रुपए का भी इन्वेस्टमेंट नहीं दिया गया था। अब फिर वेंचर फंड की घोषणा कर दी। पहले जो घोषणा की थी उसका भी तो हिसाब दें।

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