भारत, रूस संयुक्त राष्ट्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत

“दिल्ली में विदेश मंत्रालय की सचिव रीनत संधू ने रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई वर्शिनिन के साथ विदेश नीति पर विचार-विमर्श किया।”

नई दिल्ली, 31 जनवरी। भारत और रूस सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने वैश्विक निकाय से संबंधित कई मुद्दों पर व्यापक बातचीत की। रूस फरवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने किया, जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मामलों के उप मंत्री राजदूत सर्गेई वासिलीविच वर्शिनिन ने किया।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे और संबंधित घटनाक्रम के मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। दोनों पक्ष बहुपक्षीय मंचों पर आपसी हित के मुद्दों पर सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए।’’

वर्शिनिन ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से भी मुलाकात की और उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आगामी अध्यक्षता के दौरान रूसी प्राथमिकताओं से अवगत कराया।
हालाँकि ये बातचीत से दोनों देशों के लिए १ फ़रवरी से जारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के सामयिक मुद्दों को समझने और अपना पक्ष रखने में काफ़ी सहायक सिद्ध होगी। जिसमें आपसी हितों के अलावा अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया और म्यांमार की स्थिति के साथ-साथ आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की समस्याएं शामिल हैं।

मालूम हो कि मास्को और नई दिल्ली के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी के संबंधों के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र चार्टर, मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मंच पर द्विपक्षीय समन्वय को और मजबूत करने के लिए पारस्परिक मंशा व्यक्त की गई थी।

इस सिलसिले में रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मामलों के उप मंत्री राजदूत सर्गेई वासिलीविच वर्शिनिन ने कहा, “हमने बहुपक्षीय एजेंडा के विभिन्न मुद्दों पर रूसी-भारतीय अंतर-मंत्रालय विचार-विमर्श किया है। भारत दूसरे वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सदस्य के रूप में रहा है, और हमारे लिए यह दिलचस्प और महत्वपूर्ण था कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने पहले वर्ष के परिणामों के बाद के एजेंडे के सभी मुद्दों के संबंध में अपने नोट्स की तुलना करें।”

उन्होंने कहा, “मैं कह सकता हूं कि द्वीपक्षीय बातचीत से पुष्टि होती है कि भारत और रूस दोनों प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर आपसी समझ और रिश्ते को मजबूत करने के इच्छुक हैं, और इसे सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जैसे- न्यूयॉर्क, जिनेवा और पेरिस में भी दिख सकता हैं। हमने यही महसूस किया।”

अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर बात करते हुए उप मंत्री राजदूत सर्गेई वासिलीविच वर्शिनिन ने कहा कि अफगानिस्तान पर रूसी और भारतीय दृष्टिकोण कई मायनों में समान हैं।अब ये अफ़ग़ान की नई सरकार पर निर्भर करता है कि वो अपने वादे पर खरा उतरें। फ़िलहाल काबुल में मौजूदा सरकार को मान्यता देना थोड़ी जल्दबाजी होगी। हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान अफगान नेतृत्व अपने दायित्वों को पूरा करेगा, विशेष रूप से सरकार की समावेशिता के संबंध में और मानवाधिकार क्षेत्र सहित अन्य उपायों के संबंध में।

उन्होंने अफ़ग़ान में आर्थिक संकट पर चर्चा करते हुए कहा, “यह स्पष्ट है कि अफगान लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए, और यह हम और भारत दोनों देश मानवीय सहायता दे रहे है और इसे जारी रखा जाना चाहिए। ऐसे हालात अफगानिस्तान में अमेरिका और उनके सहयोगियों की 20 साल की उपस्थिति से पैदा हुई है, जिसके कारण इन दिनों स्थिति इतनी खराब हो गई है, जिसमें मानवीय दृष्टिकोण भी शामिल है।”

यूक्रेन -रूस तनाव पर एक सवाल के जवाब में उप मंत्री राजदूत सर्गेई ने कहा कि हमने भारत को यूक्रेन के आसपास की स्थिति के बार में अवगत करा दिया है। पश्चिमी देशों, नाटो और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा फैलाए गए तनाव के बारे में भी विस्तार में भारतीय पक्ष को सूचित कर दिया गया है। हमने इस क्षेत्र में सामरिक स्थिरता सुनिश्चित करने के मुद्दों को भी छुआ, खासकर जब से रूस ने बार-बार सार्वजनिक रूप से अपनी बात रखी है, और हमने इसे एक बार फिर भारतीय मित्रों को बताया है।

उन्होंने आगे कहा, “हमने भारतीय पक्ष को यूक्रेन के आसपास क्या हो रहा है और पश्चिमी देशों, नाटो और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा फैलाए गए तनाव के बारे में अपने दृष्टिकोण से अवगत कराया। हमने इस क्षेत्र में सामरिक स्थिरता सुनिश्चित करने के मुद्दों को बार-बार विश्व पटल पर रखा और वर्तमान में उत्पन्न स्थिति के बारे में भी भारतीय मित्रों को बता चुका हूँ।”

ग़ौरतलब है कि सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में यूक्रेन मुद्दे पर बैठक हुई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत ने तनाव घटने और रचनात्मक बातचीत की मांग की। हालांकि, यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा शुरू करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हुई वोटिंग से भारत अलग रहा।

दरअसल, बैठक से पहले, रूस, एक स्थायी और वीटो-धारक सदस्य, ने यह निर्धारित करने के लिए एक प्रक्रियात्मक वोट का आह्वान किया कि क्या खुली बैठक आगे बढ़नी चाहिए। रूस और चीन ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया। नॉर्वे, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आयरलैंड, ब्राजील और मैक्सिको सहित परिषद के अन्य सभी 10 सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया। माना जा रहा है कि भारत इस मुद्दे पर किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं करना चाहता था। अगर भारत रूस के पक्ष में वोट देता तो इससे अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश नाराज हो सकते थे। वहीं, अगर भारत यूक्रेन के समर्थन करता तो इससे रूस के साथ रिश्तों पर गंभीर असर पड़ सकता था। ऐसे में भारत ने बीच का रास्ता चुनते हुए मतदान से दूरी बनाए रखी।

– डॉ. म. शाहिद सिद्दीक़ी ,
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