भारत में 13.90 करोड़ हाई ब्लड प्रेशर के मरीज

“उच्च रक्तचाप न केवल दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाता है, बल्कि यह ब्रेन स्ट्रोक का भी एक प्रमुख कारण है।”

खामोश हत्यारे के नाम से कुख्यात उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) दिल और मस्तिष्क के दौरे के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। चिकित्सा विशेषज्ञ बताते के अनुसार उच्च रक्तचाप के कारण दिल के दौरे व ब्रेन अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना हो जाता है और अगर हाइपरटेंशन के अलावा तनाव एवं नींद की समस्या भी हो तो यह खतरा चार गुना तक बढ़ सकता है।

हृदय रोग विशेषज्ञ व नई दिल्ली स्थित कालरा हॉस्पीटल एंड श्रीराम कार्डियो थोरेसिक एंड न्यूरोसाइंसेस सेंटर (एसआरसीएनसी) के निदेशक डॉ. आर.एन. कालरा ने बताया कि अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि उच्च रक्तचाप और दिल के दौरे के बीच गहरा संबंध है। उच्च रक्तचाप हृदय रोग के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, क्योंकि जब रक्तचाप बढ़ जाता है, तो शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस अतिरिक्त काम से दिल की मांसपेशियां मोटी होने लगती है, और इससे धमनी की दीवारें कठोर हो सकती हैं या उन्हें नुकसान भी पहुंच सकता है। इसके कारण, शरीर के अंगों तक कम ऑक्सीजन पहुंचता है और हृदय के अधिक काम करने के कारण समय के साथ हृदय क्षतिग्रस्त हो जाता है।

नई दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कार्ट हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता के अनुसार, उच्च रक्तचाप न केवल दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाता है, बल्कि यह ब्रेन स्ट्रोक का भी एक प्रमुख कारण है।

नवीनतम वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, हाइपरटेंशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना हो जाता है। सिस्टोलिक रक्तचाप में हर 10 एमएम हीमोग्राम बढ़ने से इस्कीमिक स्ट्रोक का खतरा 28 प्रतिशत तथा हैमेरेजिक स्ट्रोक का खतरा 38 प्रतिशत बढ़ता है. हालांकि उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखने पर स्ट्रोक होने का खतरा घट जाता है।

वर्ष 2012 में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 13 करोड़ 90 लाख लोग अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। भारत में वर्ष 1960 में उच्च रक्तचाप से 5 प्रतिशत लोग पीड़ित जो बढ़कर 1990 में लगभग 12 प्रतिशत हो गया. वर्ष 2008 में यह बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया और लोग अपने 20 के दशक में भी उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने लगे। उच्च रक्तचाप भारत में सभी स्ट्रोक से होने वाली मौतों में से 57 प्रतिशत और कोरोनरी हृदय रोग से होने वाली 24 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है।

डॉ. गुप्ता कहते हैं कि हाइपरटेंशन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, क्योंकि उच्च रक्तचाप से पीड़ित 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को इससे पीड़ित होने का पता नहीं होता है। ज्यादातर बार, इसके बहुत मामूली लक्षण प्रकट होते हैं या कोई लक्षण नहीं होते हैं। आपको जिन कुछ संकेतों पर ध्यान देना चाहिए, वे हैं- सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, हृदय की अनियमित धड़कन (धड़कन), देखने में समस्या, पेशाब करने में समस्या आदि।

उन्होंने कहा, ‘मामूली लगने वाले ये लक्षण धमनियों और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के नुकसान पहुंचने के संकेत हो सकते हैं जो आगे चलकर जीवन के लिए घातक हो सकते हैं और आपात चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है. इसलिए, हमें न केवल उच्च रक्तचाप की पहचान और नियंत्रण नहीं करना चाहिए, बल्कि आम लोगों में उच्च रक्तचाप के प्रसार को कम करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली और निवारक रणनीतियों को बढ़ावा देना चाहिए।’

डॉ. कालरा का सुझाव है कि लोगों को नियमित रूप से अपना रक्तचाप चेक करवाना चाहिए. जीवन के लिए घातक घटनाओं को रोकने के लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखना आवश्यक है. हृदय रोग की रोकथाम के लिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना, नियमित व्यायाम करना, तंबाकू के किसी भी उत्पाद का सेवन नहीं करना, 7 घंटे की नींद लेना, तनाव को नियंत्रित करना, फलों का अधिक सेवन करना, शराब का सीमित मात्रा में सेवन करना सबसे महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप के बारे में सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि यह किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकता है. हालांकि यह बुजुर्गो या मोटे लोगों की बीमारी मानी जाती है, लेकिन अब युवाओं में भी इसकी काफी अधिक पहचान की जा रही है।उच्च रक्तचाप शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, चाहे वह मस्तिष्क, हृदय या गुर्दे हों। मरीजों को सिरदर्द, थकान, एंग्जाइटी, चक्कर आना, कमजोरी, भ्रम की शिकायत, जी मिचलाना, सीने में दर्द और यहां तक कि शरीर के एक हिस्से में कमजोरी की शिकायत भी हो सकती है।

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *