पटना, – कोरोना संक्रमण के दौर में जब देश में चारों ओर सब कुछ बंद हो गए, तब बिहार से पलायन कर गए मजदूर भी अपने गांव की ओर लौटने लगे। इन लौट रहे कुशल और अद्र्घकुशल कामगार व मजदूरों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं। वे भी उनके साथ लौट आई हैं।
अब सरकार इन महिलाओं को रोजगार देने की कवायद में जुटी हुई है। इन महिलाओं के जरिए राज्य के कुटीर उद्योगों को फिर से गति देने की योजना बन रही है।
प्रवासी मजदूरों को जहां रोजगार देने को लेकर सरकार कवायद प्रारंभ कर चुकी है, वहीं इनकी कुशलता का उपयोग करने को लेकर भी सरकार विचार कर चुकी है। यही कारण है कि आने वाले प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग की जा रही है।
जीविका से जुड़ी महिलाओं द्वारा राज्यभर के क्वोरंटीन केंद्रों में सर्वे किया जा रहा है, ताकि यह पता चल सके कि इन कामगारों की क्षमता एवं रुचि क्या है और इसी के अनुरूप इन्हें काम दिलाने की योजना है।
सरकार की योजना कुशल प्रवासी महिलाओं को कढ़ाई, बुनाई, पेंटिंग जैसे कुटीर उद्योगों से जोड़ने की है।
पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि पटना आने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ महिलाएं भी हैं, और इन महिलाओं में कई कुशल हैं और जो कुशल नहीं हैं, उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा कि पटना में करीब 2500 से ज्यादा महिलाओं को चिन्हित किया जा चुका है, जिन्हें जून में उनके पसंदीदा कायरें के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर प्रशिक्षित किया जाएगा और चिप्स, पापड़, कपड़ों पर डिजाइनिंग, दूघ उत्पादन, मुर्गी पालन जैसे कायरें में इन्हें लगाया जाएगा।
स्वयं का व्यापार करने वाली इच्छुक महिलाओं को बैंक से ऋण दिलाया जाएगा तथा कुटीर उद्योगों के जरिए इन्हें स्व रोजगार करने का मौका उपलब्ध करवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मौकों पर कह चुके हैं कि उनकी इच्छा है कि जो भी मजदूर बाहर से आ रहे हैं, उन्हें फिर बिहार से बाहर नहीं जाना पड़े।