बिहार के 31 जिलों में पीने योग्य पानी नहीं, मंत्री का दावा, ‘ट्रीटमेंट कर की जा रही आपूर्ति’

बिहार विधानसभा में पेश राज्य आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 से खुलासा हुआ है कि ग्रामीण बिहार के बड़े हिस्से में भूजल में बड़े पैमाने पर रासायनिक प्रदूषण है, जिस कारण यह आम लोगों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर खतरा बढ़ गया है।

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) मंत्री रामप्रीत पासवान का हालांकि दावा है कि पेयजल को शुद्ध कर आपूर्ति कराई जा रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के 38 जिलों में से 31 जिलों के भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा काफी ज्यादा है।
प्रभावित जिलों में पटना भी शामिल है। इसके अलावा बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, सारण , सीतामढ़ी वैशाली, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, गया , जमुई, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास, शेखपुरा, नवादा, किशनगंज, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, सुपौल और अररिया शामिल हैं।

रिपोर्ट में हालांकि यह भी कहा गया है कि हर घर नल का जल के तहत वर्ष 2024 तक हर घर को नल के पानी की आपूर्ति करने की योजना शुरू की गई है। बिहार में इस संबंध में 2016 में ही काम शुरू कर दिया गया था जो इस वित्तवर्ष में लगभग समाप्त होने वाला है ।

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में दो योजनाएं मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना ( गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लिए) और मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गैर- गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लिए) चलाई जा रही हैं।

गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र वे हैं जहां पानी की गुणवत्ता आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन से प्रभावित है। इन दोनो कार्यक्रमों का क्रियान्वयन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और पंचायती राज विभाग द्वारा किया जा रहा है।

बिहार में 8386 ग्राम पंचायत और 1,14,691 ग्रामीण वार्ड हैं। इनमें से 56,544 में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग काम कर रहा है। इनमें से 30,272 वाडरें का पेयजल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र के तहत आता है और 26,272 गैर-गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र में अभी 4742 वार्ड आर्सेनिक के, 3791 फ्लोराइड के और 21,739 आयरन के संकेंद्रण से प्रभावित हैं।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से 4238 आर्सेनिक प्रभावित, 3763 फ्लोराइड प्रभावित और 20,996 आयरन प्रभावित क्षेत्रों में काम पूरा हो गया है।
दूषित पानी के सेवन से त्वचा, लीवर, किडनी और अन्य जल जनित रोग होते हैं।

इधर, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के मंत्री रामप्रीत पासवान ने आईएएनएस को बताया कि राज्य सरकार घरों तक शुद्ध पेयजल पंहुचाने के लिए काम कर रही है । उन्होंने कहा कि प्रभावित जिलों में गहरे पानी तक बोरवेल खोदे जा रहे है। इसके अलावा ट्रीटमेंट प्लांटों के जरिए पेयजल को प्रदूषण मुक्त कर घरों तक आपूर्ति की जा रही है।

मंत्री ने यह भी कहा, देखा जा रहा कि गांव के लोग पानी का इस्तेमाल अन्य काम में भी करने लगे हैं। उन्हें जागरूक करने के लिए चौपाल का आयोजन किया जाएगा।
मंत्री ने दावा किया कि सुबह, दोपहर व शाम दो-दो घंटे जल की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 97 से 98 प्रतिशत घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचा दिया गया है।

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