भारत में महंगी चिकित्सा शिक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जा रहे हैं।
कुमार ने कहा, “हमारे देश में, छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में चयन के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं देनी पड़ती हैं, जबकि यूक्रेन में ऐसी किसी परीक्षा की आवश्यकता नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर यह एक नया रहस्योद्घाटन है।”
उन्होंने कहा, “मैंने यह भी सीखा कि यूक्रेन में चिकित्सा अध्ययन की लागत बहुत कम है। अगर यह सच है, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की मांग करता है।”
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि देश में निजी कॉलेज एक करोड़ रुपये से ज्यादा फीस लेते हैं, जबकि यूक्रेन में एक ही एमबीबीएस कोर्स की कीमत 20 से 25 लाख रुपये के बीच होती है।
यहां तक कि मध्यमवर्गीय परिवार भी अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजने के लिए संघर्ष करते हैं। कुमार ने कहा कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से आवश्यक जानकारी प्राप्त करते हैं और अपने बच्चों को चिकित्सा अध्ययन के लिए भेजते हैं।
युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने के बारे में उन्होंने कहा कि प्रक्रिया जारी है और केंद्र ने यूक्रेन से सटे देशों में पर्याप्त व्यवस्था की है।
यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद बड़ी संख्या में छात्र बिहार लौट आए हैं।
सूत्रों के अनुसार, उनमें से कई अभी भी रूस की भारी गोलाबारी के कारण राजधानी कीव, खार्किव और अन्य पूर्वी शहरों में फंसे हुए हैं।