फ्रांस,सिंगापुर और यूएई के बाद अब श्रीलंका में भी होगा यूपीआई पेमेंट, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के भारत दौरे पर हुए कई समझौते

नई दिल्ली-  श्रीलंका में भी भारत के यूपीआई से भुगतान हो सकेगा। इसके लिए भारत की यूपीआई तकनीक अब पड़ोसी देश श्रीलंका ने भी स्वीकार कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे की उपस्थिति में शुक्रवार को दोनों देशों के बीच हुए कई समझौतों में यह अहम रहा। इससे पहले पैसों के भुगतान के लिए अपनाए जाने वाली यह ऐप आधारित सेवा फ्रांस, यूएई और सिंगापुर अपना चुके हैं।

यूपीआई को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका में यूपीआई भुगतान प्रणाली शुरू करने के समझौते से दोनों पक्षों के बीच फिनटेक संपर्क स्थापित होगा।

हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे के बीच बातचीत में कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। जिसमें श्रीलंका में तमिल समुदाय के लिए सम्मानपूर्ण जीवन सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी जोर दिया। मोदी और विक्रमसिंघे की व्यापक बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने अनेक घोषणाएं कीं जिनमें विद्युत ग्रिड को जोड़ने के काम को तेज करने, एक आर्थिक और टेक्नोलॉजी करार पर बातचीत शुरू करने, एक पेट्रोलियम पाइपलाइन के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करने और दोनों पड़ोसियों के बीच संपर्क को मजबूत करने के लिए आपसी विश्वास और समझ शामिल है।

इसके अलावा भारत और श्रीलंका मजबूत आर्थिक संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए एक रोडमैप पर काम करने पर भी सहमति बनी।

ग़ौरतलब है कि विक्रमसिंघे दो दिन की यात्रा पर गुरुवार को दिल्ली आए थे। पिछले साल अभूतपूर्व आर्थिक संकट से प्रभावित होने के बाद से श्रीलंका के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को दिए बयान में पिछले वर्ष श्रीलंका में आई आर्थिक कठिनाइयों का जिक्र किया और कहा, ‘पिछला एक वर्ष, श्रीलंका के लोगों के लिए चुनौतियों से भरा रहा है। एक निकटतम मित्र होने के नाते, हमेशा की तरह, हम इस संकटकाल में भी श्रीलंका के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे।’

 मोदी ने कहा कि भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति और ‘सागर’ दृष्टिकोण, दोनों में श्रीलंका का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा, ‘आज हमने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। हमारा मानना है कि भारत और श्रीलंका के सुरक्षा हित और विकास एक- दूसरे से जुड़े हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज हमने आर्थिक गठजोड़ के लिए एक रोडमैप को अपनाया है।’

उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण दोनों देशों के लोगों के बीच नौवहन, हवाई संपर्क और लोगों के बीच संपर्क को मजबूती देने से संबंधित है। मोदी ने कहा, ‘यह दृष्टिकोण पर्यटन, बिजली और कारोबार तथा उच्च शिक्षा, और कौशल विकास में आपसी सहयोग को गति देने का है। यह श्रीलंका के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का है।’

भारतीय मूल के श्रीलंकाई तमिलों के लिए 75 करोड़ की परियोजनाएं भी शुरू की जाएँगी।  मछुआरों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।मीडिया को संबोधित करते समय मोदी ने यह घोषणा भी की कि श्रीलंका के भारतीय मूल के तमिल नागरिकों के लिए 75 करोड़ रुपये की अनेक परियोजनाएं लागू की जाएंगी और भारत वहां के उत्तरी तथा पूर्वी क्षेत्र में विकास कार्यक्रमों में भी योगदान देगा।

श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने भी भारत की तरक्की श्रीलंका जैसे पड़ोसियों के लिए भी फायदेमंद बताते हुए बोले कि  ‘हमारा मानना है कि भारत की प्रगति उसके पड़ोसियों और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए फायदेमंद है।’ 

मीडिया ब्रीफिंग के बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भी कहा कि दोनों देशों के सामने समुद्री क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। उन्होंने संकेत दिया कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों का मुद्दा भी चर्चा में आया। हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हम पड़ोसी हैं। हमारा पुराना और व्यापक रिश्ता रहा है। चिंताओं के बारे में बात करना स्वाभाविक है।’

-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी; Follow via Twitter @shahidsiddiqui

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