नई दिल्ली। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर ने ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और इंडिया में पॉलिटिकल ऐड ट्रैकिंग टूल लॉन्च कर दिया है। इसकी मदद से यूजर पॉलिटिकल विज्ञापनों की सत्यता को जान सकेंगे। बीते काफी समय से फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर पर फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। अब यूजर ट्विटर के ट्रांसपरेंसी सेंटर पर विज्ञापन सत्यता की जांच कर सकेंगे। ट्विटर पर प्रमोट किए जा रहे कंटेट के लिए किसने पे किया है यह भी यूजर देख सकेंगे।
वॉट्सऐप ने भी उठाये थे ये कदम….
फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए हाल ही में वॉट्सऐप ने भी फॉरवर्ड फीचर को बस पांच कॉन्टैक्ट्स तक लिमिट कर दिया था, जिससे एक ही मेसेज पांच से ज्यादा लोगों को फॉरवर्ड न किया जा सके। अब, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले वॉट्सऐप की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। वॉट्सऐप ने जानकारी दी है कि किस तरह बल्क और ऑटोमेटेड मेसेजेस की प्रॉब्लम को मशीन लर्निंग की मदद से कंपनी दूर कर रही है और ऐक्शन ले रही है। वॉट्सऐप के मुताबिक, मशीन लर्निंग उन ऐक्शन्स से जुड़े डीटेल्स इकट्ठा करती है जिनसे यह बेहतर काम कर सके। इस इंफॉर्मेशन में पिछले ऑफेंडर्स और गलत रिपोर्ट किए गए बिहेवियर की जानकारी भी शामिल होती है, जैसा बिहेवियर कभी अजेंडा फैलाने के लिए करते हुए किसी को पाया गया था।