नई दिल्ली (१८ अप्रैल, २०२२): कनाडा और न्यूजीलैंड भेजने वाले २ ठगों का पर्दाफ़ाश हुआ है। दोनों ठग कनाडा, न्यूजीलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन भेजने के नाम पर ठगी करते थे।
इनमें से एक नेपाल के धनुशा में ०९ मिथिला का रहने वाला है तो दूसरा भारत में दरभंगा ज़िले का नागरिक है। ये दोनों पिछले कई सालों से दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाक़े से अपना ठगी का धंधा चलाते रहे हैं। इनके ठगी का खुलासा तब हुआ जब सद्भावना टुडे के पत्रकार को इस बात की भनक लगी और इनके बारे में नेपाल के स्थानीय गुप्तचर विभाग से संपर्क कर इसके बारे में छानबीन की।
छानबीन में पता चला कि विजय पूर्बे नामक नेपाली ठग के ख़िलाफ़ कई केस पहले से ही दर्ज है। हालाँकि, सूत्रों के मुताबिक़ वो (विजय पूर्बे) नेपाल में पहले भी ७ साल की सज़ा काट चुका है और कई अन्य मामलों में नेपाल की पुलिस लगातार उसे ढूँढ रही है। जबकि फ़हीम अनवर खान नामक भारतीय ठग बिहार के दरभंगा ज़िले में नैनाघाट इलाके का रहने वाला है। फ़हीम अनवर खान नामक इस भारतीय ठग ने ही नेपाली साथी विजय पूर्वे को दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाक़े में अपने कमरे में शरण दे रखी थी।
सूत्रों के मुताबिक़ दोनों ठगों ने मिलकर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तरप्रदेश के सैकड़ों लोगों को विदेश भेजने के नाम पर अब करोड़ों की ठगी कर चुके हैं। सुत्रों के मुताबिक़ विजय पूर्वे फिलहाल अपने बेटे प्रिंस पूर्वे के साथ दिल्ली के निजमुद्दीन, भोगल और लाजपतनगर इलाक़े में अपना ठिकाना बना रखा है। जबकि नेपाल की पुलिस की नज़र में वो अपनी पत्नि को तलाक़ दे कर देश से फरार है। नेपाली गुप्तचर के हवाले ये ये भी जानकारी मिली कि कुछ साल पहले क़रीब ५ नेपाली नागरिकों को फर्जी तरीक़े से इराक़ भेज कर हत्या करा चुका है।
हालाँकि सद्भावना टुडे इसकी पुष्टि नहीं करता। लेकिन, उन सभी इराक़ गए नेपाली नागरिकों आज तक कोई सुराग नहीं मिला है। इसके अलावा ख़ुद को प्रोफ़ेसर बताने वाला नेपाली ठग विजय पूर्बे अपने साथी फ़हीम की मदद से अपना आधार कार्ड भी बना रखा है और निज़ामुद्दीन स्थित भारतीय स्टेट बैंक में अकाउंट (खाता नंबर: 40645660705 ) भी खोल रखा है। जबकि इसके पासपोर्ट (नं. NPL11004828 )। में अभी भी नेपाल के धनसुआ का पता दर्ज है।
सद्भावना टुडे के पत्रकार ने जब ख़ुद को विदेश जाने के इच्छुक बताकर विजय पूर्बे से संपर्क साधा तो धीरे -धीरे परत-दर-परत खुलती गई। हालाँकि नेपाली ठग विजय पूर्वे ने पत्रकार से भी किसी भी काम को शुरू करने से पहले अपने साथी फ़हीम के माध्यम से एडवांस रक़म की माँग रखी। माँग पूरा होते ही विजय पूर्बे ने काम आगे बढ़ाने के साथ -साथ अपने कई राज खोलने शुरू कर दिए।
उसके मुताबिक़ इसके साथ दो अन्य लोग इसके गिरोह में काम करते हैं। एक आज़मगढ़ का निवासी रिज़वान और चंडीगढ़ से एक महिला शामिल है, जो कनाडा और न्यूज़ीलैंड में एजेंट से सीधे संपर्क में रहते है और फ़र्ज़ी वीज़ा का जाल बुनते हैं। हाल ही में पिछले ६ अप्रैल को २ नेपाली नागरिकों को न्यूज़ीलैंड भेजने के नाम पर दिल्ली बुलाकर उनसे क़रीब ४.५ लाख रुपये ठग चुका है, जबकि एक अन्य पंजाब के निवासी को कनाडा भेजने के नाम पर ६ लाख की वसूली करने की फ़िराक़ में है। सूत्रों के मुताबिक़ ये दोनों ठग दिल्ली स्थित कई दूतावासों में अपने गर्गे भी पाल रखे हैं जिनकी मदद से ये गोरख धंधा चलाते हैं।
सद्भावना टुडे की इस छानबीन का पता चलते ही दरभंगा निवासी ठग फ़हीम भी दिल्ली से फ़रार है। हालांकि ख़ुद को बेगुनाह साबित करने के लिए फ़रार होने से पहले कथित तौर पर निज़ामुद्दीन थाने में एक शिकायतनामा दर्ज करा रखी है, ताकि पुलिस के सामने ख़ुद को बेगुनाह साबित कर सकें। जबकि फ़रार होने से पहले फ़हीम की मौजूदगी में उसके क़ब्ज़े से क़रीब ५ नेपाली पासपोर्ट बरामद किए जा चुके हैं, जो कथित तौर पर नेपाली ठग विजय पूर्वे ने उसके कमरे पर छिपा रखा था।