पर्यावारण से छेड़-छाड़ का नतीजा है, मधुमक्खियों की तादाद में भारी कमी

ये हमारे आज की तस्वीरें हैं। लेकिन, ये हमारे भयावह कल की तस्वीरें भी है। नाशपाती की डालियां सफेद खूबसूरत फूलों से भरी पड़ी हुई हैं। महिलाएं इन पेड़ों पर चढ़कर क्या कर रही हैं। ये एक ऐसा काम कर रही हैं, जिसे कुदरत बहुत मामूली तरीके से करती रही है।

ये महिलाएं नाशपाती के फूलों का परागण कर रही हैं। एक छोटा सा ब्रश जैसा लेकर वे हर फूल पर फिराती हैं। ताकि एक फूल का पराग दूसरे फूल तक पहुंच जाए।
चीन में नाशपाती, आड़ू, सेब जैसे फलो में अब यह बहुत ही सामान्य होता जा रहा है। मधुमक्खियों की तादाद में भारी कमी आई है।

इसके चलते चीन में हाथ से परागण करना पड़ रहा है। जबकि मधुमक्खियां यह काम बहुत ही मामूली तरीके से करती रही हैं और वो भी सैकड़ों-हजारों सालों से।
माना जाता है कि ढाई लाख से ज्यादा पेड़-पौधों का परागण मधुमक्खियां करती हैं।

मधुमक्खियां परागण करती हैं तभी इनमें फल, बीज या सब्जियां आती हैं। अगर परागण नहीं होता है तो फल और बीज तो भूल जाइये। फसलों में इस्तेंमाल किए जाने वाले तमाम किस्म के रसायनों के चलते मधुमक्खियों का जीवन दुनियाभर में ही खतरे में है।

वे मर रही हैं। बहुत तेजी से समाप्त हो रही हैं। अगर यही हाल रहा तो हर जगह की तस्वीर यही होगी। हमें खुद से ही परागण करना पड़ेगा।

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