संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से आरंभ हो रहा है और इस सत्र में नागरिकता (संशोधन) विधयेक 2019 पर चर्चा उसी प्रकार सरकार के मुख्य एजेंडा में शामिल है, जिस प्रकार मानसून सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को प्रमुखता दी थी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में केंद्र सरकार इस सत्र के दौरान नागरिकता (संशोधन) विधयेक को पास करवाना चाहेगी. संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने जिन विधेयकों को पास करने को लेकर मंजूरी प्रदान की है उनकी सूची में नागरिकता (संशोधन) विधयेक 2019 को 16वें नंबर पर रखा गया है. देशभर में राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को लेकर आगे कोई भी अभियान चलाने के लिए भाजपा सरकार के लिए इस विधेयक को पास करवाना आवश्यक है. इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान इस पर पूर्वोत्तर के राज्यों से कड़ा विरोध होने के मद्देनजर विधेयक को पास करवाने पर जोर नहीं दिया गया और पिछली लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ विधेयक खारिज हो गया.
पिछली बार से ज्यादा बड़ा जनादेश (303 सीटों) के साथ भाजपा अब दोबारा सत्ता में आई है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत लगातार भाजपा पर देशव्यापी एनआरसी लाने पर दबाव बनाए हुए हैं, इसलिए सरकार इस बार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को संसद में पास करवाना करवाना चाहेगी.