देश के छात्र करेंगे रिसर्च ताकि ऊंचाई पर सैनिकों की ऊर्जा में न आए कोई फर्क

डीआरडीओ चाहता है कि देश में रिसर्च से जुड़े छात्र ऊर्जा की उन बाधाओं पर शोध करें जिनका सामना सैनिकों ऊंचाई पर करना पड़ता है।

डीआरडीओ ने इसके लिए विशेषज्ञों से ऊंचाई पर उपयोगी कम लागत और कुशल ईंधन ऊर्जा के विकल्प तलाशने को कहा है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के विश्वविद्यालयों को रक्षाकर्मियों के सामने आने वाली कठिनाइयों के समाधान पर काम करने के लिए प्रेरित करना है।

ऐसी व ऊर्जा से जुड़ी अन्य चुनौतियों के समाधान के लिए जामिया एक शॉर्ट टर्म वर्कशॉप कोर्स शुरू करने जा रहा है। जामिया मिलिया इस्लामिया का इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग रिन्यूएबल एनर्जी और इसकी चुनौतियों पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा।

पिछले दशक में विभाग को 10 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान प्राप्त हुआ।
इश्यूज एंड चैलेंजेज ऑफ ग्रिड कनेक्टेड रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज विषय पर यह शॉर्ट टर्म वर्कशॉप कोर्स है।

भारत सरकार की ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) द्वारा प्रायोजित इस ऑनलाइन अल्पकालिक पाठ्यक्रम में देश भर से 400 से अधिक शिक्षक और शोधार्थी भाग ले रहे हैं।

इश्यूज एंड चैलेंजेज ऑफ ग्रिड कनेक्टेड रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज पर डीआरडीओ के निदेशक डॉ राजीव वाष्र्णेय ने सेना के सैनिकों द्वारा ऊंचाई पर सामने आने वाली ऊर्जा बाधाओं के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने प्रतिभागियों और विशेषज्ञों से ऊंचाई पर उपयोगी कम लागत और कुशल ईंधन ऊर्जा के विकल्प तलाशने के लिए कहा। उन्होंने वर्तमान परि²श्य में अक्षय ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया और प्रतिभागियों को रक्षाकर्मियों के सामने आने वाली कठिनाइयों के समाधान पर काम करने के लिए प्रेरित किया।

डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आर एंड डी विंग है, जो अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कार्य करता है।

जामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर, ने अल्पकालिक पाठ्यक्रम के विषय के छात्रों से ग्रीन ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाने में उभरती चुनौतियों का सामना करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि भारत पर्यावरण की रक्षा के मामले में दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय विकास कार्यों को अवरुद्ध करना आवश्यक नहीं है। अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोनों एक साथ चल सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत सरकार के प्रभावशाली रिकॉर्ड को रेखांकित किया और यह भी बताया कि प्रधानमंत्री ने ये शब्द पर्यावरण दिवस पर कहे थे कि भारत की अक्षय ऊर्जा की क्षमता में 6-7 वर्षों में 250 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।

भारत आज स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया के शीर्ष -5 देशों में है। प्रो. नजमा अख्तर ने इस तरह के आयोजन, जामिया के विकास में जबरदस्त योगदान, अंतरराष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान प्रयोगशालाओं और बहुत ही सक्षम अनुसंधान उन्मुखता के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के संकाय सदस्यों की सराहना की। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किए गए प्रयासों और विभाग में एक क्यूआईपी केंद्र स्थापित करने की इसकी उपलब्धि पर खुशी जाहिर की।

उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि कर्नल बी वेंकट, निदेशक एआईसीटीई, नई दिल्ली ने भी शॉर्ट टर्म कोर्स के विषय की सराहना की और इस कार्यक्रम के निर्धारित परिणामों के लिए सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यह विषय आज की ग्रीन एनर्जी की आवश्यकता के समय में बहुत प्रासंगिक है।

प्रो. माजिद जमील, कोर्स कोऑर्डिनेटर ने इश्यूज एंड चैलेंजेज ऑफ ग्रिड कनेक्टेड रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज पाठ्यक्रम के डिजाइन की रूपरेखा तैयार की है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उद्योग सहित 278 प्रतिष्ठित संस्थानों से 838 विद्वान कोर्स के लिए पंजीकृत हैं। यह वास्तव में देश के विभिन्न हिस्सों से जबरदस्त प्रतिक्रिया है।

प्रोफेसर जमील ने बताया कि देश भर के विभिन्न संस्थानों के संकाय सदस्यों, शोध विद्वानों और छात्रों सहित 462 प्रतिभागियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि आमंत्रित विशेषज्ञ आईआईटी, एनआईटी, डीटीयू, एएमयू, जामिया, उद्योग और कई अन्य प्रमुख संस्थानों से हैं।

विभाग के अध्यक्ष, प्रो. मुन्ना खान ने विभाग की स्ट्रेंथ पर प्रकाश डाला, क्योंकि एनबीए को 6 साल के लिए प्रदान किया गया था, यह अकेला विभाग है जिसका विश्वविद्यालय में क्यूआईपी केंद्र है।

प्रो. खान ने बताया कि 150 से अधिक छात्रों को विभाग से पीएचडी, 58 के अनुसंधान एच-इंडेक्स, 10 से अधिक प्रकाशित और पेटेंट प्रदान हैं। प्रो. खान ने यह भी जोर दिया कि पिछले दशक में विभाग को 10 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान प्राप्त हुआ है।

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