दूरसंचार कंपनियां बकाया भुगतान पर मोहलत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं


दूरसंचार कंपनियां वोडाफोन आइडिया, टाटा टेलीसर्विसेज और भारती एयरटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दूरसंचार विभाग (DoT) के साथ भुगतान अनुसूची पर बातचीत करने की अनुमति देने के लिए अपने पहले के आदेश में संशोधन की मांग की है।

दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत से कहा कि उन्हें दूरसंचार विभाग के साथ चर्चा करने और भुगतान करने के लिए उपयुक्त समय सीमा दी जाए।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया समेत अन्य कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उसे याचिकाओं पर विचार करने के लिए कोई वाजिब वजह नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को 23 जनवरी तक 1.47 लाख करोड़ रुपये सरकार को चुकाने के आदेश दिए थे।

दूरसंचार विभाग (डॉट) सरकारी गैर दूरसंचार कंपनियों (पीएसयू) के मामले में 2.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के बकाये के भुगतान की 23 जनवरी की समयसीमा की कानूनी वैधता की जांच कर रहा है। सूत्रों ने ये जानकारी देते हुए कहा कि ये कंपनियां एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट में मूल रूप से पार्टी नहीं थी।

दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने कहा कि भले ही सांविधिक बकायों से संबधित भुगतान के लिए गैर दूरसंचार पीएसयू से भी कहा गया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि 23 जनवरी की समयसीमा उन सरकारी कंपनियों पर भी कानूनी रूप से लागू है, जो इस विवाद में सीधे पार्टी नहीं थीं।

एक सूत्र ने कहा, ‘वास्तव में अदालत ने एजीआर के सिद्धांत के मसले पर फैसला दिया है, इसलिए उन्हें (पीएसयू) भुगतान करना है, लेकिन यदि वे 23 जनवरी तक भुगतान नहीं करती हैं तो इसे अदालत की अवमानना नहीं माना जाएगा।’

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्तूबर 2019 को अपने फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के एजीआर में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कानून के अनुसार ही है। 22 नवंबर को एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसमें फैसले पर पुनर्विचार करने और ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को माफ करने की अपील की गई थी।

दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले साल नवंबर में संसद को बताया था कि दूरसंचार कंपनियों पर सरकार का 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। साथ ही उन्होंने कहा था कि इस बकाये पर जुर्माने-ब्याज पर राहत का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों पर लाइसेंस शुल्क का 92,642 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क 55,054 करोड़ रुपये बकाया है।

इन कंपनियों पर इतना बकाया
भारती एयरटेल 21,682.13
वोडाफोन-आइडिया 19,823.71
रिलायंस कम्युनिकेशंस 16,456.47
बीएसएनएल 2,098.72
एमटीएनएल 2,537.48

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